दलित के बेटा ने बनाया संविधान अब अनुसूचित जनजाति की बेटी को राष्ट्रपति बनाकर संविधान बदलने की साजिश तो नहीं: आजम अहमद

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दलित के बेटा ने बनाया संविधान अब अनुसूचित

 जनजाति की बेटी को राष्ट्रपति बनाकर संविधान

 बदलने की साजिश तो नहीं: आजम अहमद

आजम अहमद

झारखंड आंदोलनकारी नेता आजम अहमद ने कहा कि 2014 में भाजपा की सरकार बनते ही देश के कई राज्यों के ऐतिहासिक धरोहर को लोकसभा के पटल लाकर बहुमत के बल पर प्रदेशों के नाम को नवीकरण किया गया जिससे देश के संविधान पर भी बुरा असर पड़ा कहीं एक सीधे -साधे जाती अनुसूचित जनजाति के सशक्त मजबूत पहली  महिला द्रोपति मुर्मू को झारखंड मैं (NDA) ने राज्यपाल बनाया था उस समय रघुवर दास की सरकार ने सीएनटी- एसपीटी और पेशा कानून लाकर जो झारखंड के आदिवासी मूलवासी के साथ कुठाराघात करने की कोशिश की लेकिन महामहिम राज्यपाल महोदया के हस्तक्षेप से सीएनटी एसपीटी और पेशा कानून को रद्द किया गया ऐसे सशक्त देश की एकता और अखंडता को बल देने वाली महिला की काफी जीवन संघर्षपूर्ण रहा 
द्रोपदी मुर्मू जी की जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के वायदा कोसी गांव में एक संथाली परिवार में जन्म हुआ उनके पिता और दादा सुनो गांव के प्रधान थे। उनके दो पुत्र और एक पुत्री थी दोनों पुत्र काअलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गई और आज भी उनकी पुत्री भुनेश्वर में है रहती है
झारखंड के पूर्व महामहिम राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरंभ किया और साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के चुनाव में जीत हासिल कर वार्ड पार्षद चुनी गई और नगर पंचायत के उपाध्यक्ष के रूप में उन्हें चुना गया
2000 के विधानसभा चुनाव में वह  रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मंत्री के रूप में चुनी गई और 2004 तक व परिवहन वन्य मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग के प्रभारी रहीं, 2004 में वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक के रुप में दोबारा चुनी गई उन्होंने मयूरभंज में भाजपा के जिला अध्यक्ष और 2009 तक भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, मई 2015 में झारखंड की पहली राज्यपाल महिला के रूप में श्रीमती मुर्मूं को चुना गया, वर्ष 2022 में भारतीय जनता पार्टी के तरफ से राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति की उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया ,पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू को 2007 में उन्हें उड़ीसा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के रुप में नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया
झारखंड आंदोलनकारी आजम अहमद ने आगे कहा कि फिलहाल के समय में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को बनना तय है भारत में पहली बार महिला राष्ट्रपति जो सशक्त और देश की एकता अखंडता पर समझौता नहीं करने वाली महिला को अगर भारत में 2024 के चुनाव के मद्देनजर अगर बनाया जा रहा है जिन जाति की आबादी लगभग 18 करोड़ भारत में है उनके साथ कोई कुठाराघात नहीं होना चाहिए अन्यथा देश शर्मसार हो सकता है।

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