विन्क्यूलिन एवं नेट्स: हृदयाघात के
नूतन कारक डाॅ वी के जगनाणी
सर्वविदित है कि ट्राईग्लिसेराइड्स तथा एल डी एल के रक्त में मात्रा बढ़ने से हृदयाघात एवं पक्षाघात की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है । इनके बढ़ने का मुख्य कारण पाश्चात्य भोजन एवं जीवनशैली में सक्रियता की कमी माना जाता है । ज्ञात हो, राँची के सुप्रसिद्ध हृदय एवं मधुमेह रोग विशेषज्ञ डाॅ वी के जगनाणी इस विषय पर वाराणसी में ३ - ५ मार्च २०२३ को सम्पन्न हुए कार्डायबकाॅन में इस विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे थे ।
हृदयाघात एवं पक्षाघात के मुख्य कारक आथेरोस्क्लेरोसिस को माना जाता है । डिस्लिपीडिमिया के इतर नेटोसिस भी इन रोगों का नूतन कारक उभर कर सामने आया है । शोध से पता चल रहा है कि धमनियों में अनियन्त्रित इन्फलामेशन के कारण नेट्स बनने लगते हैं जो हानिकारक प्रभाव डाल कर आथेरोस्क्लेरोसिस को गतिशील कर देते हैं । इसके दुष्प्रभाव से प्लाक बनने लगते हैं । नेटोसिस के कारण प्लाक रप्चर होकर जानलेवा हृदयाघात हो सकता है । जब यही प्लाक रप्चर मष्तिष्क में होता है तो स्ट्रोक के कारण पक्षाघात हो सकता है ।
शोध में यह पाया गया है कि अगर अनियन्त्रित नेटोसिस को किसी चरण में रोक सकें तो आथेरोस्क्लेरोसिस, प्लाक, हृदयाघात एवं पक्षाघात से बच सकते हैं ।
परन्तु, लाइफस्टाइल माॅडिफिकेशन, नियन्त्रित रक्तचाप, रक्त शर्करा, काॅलेस्ट्राॅल, स्वास्थ्य वर्धक भोजन, नियमित व्यायाम, ओषधि, जाँच, चिकित्सीय परामर्श के साथ आवश्यक है ।