दरभंगा: दरभंगा में प्रस्तावित एम्स निर्माण पर फिर ग्रहण लग गया है. बिहार सरकार द्वारा दिये गए शोभन एकमी बाईपास वाली 150 एकड़ जमीन को केंद्र सरकार की सर्वे टीम ने लो लैंड के कारण रिजेक्ट कर दिया है. इस बात की पुष्टि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने भी की है. बता दें कि इससे पहले पहले DMCH परिसर में एम्स बनाने की केंद्र सरकार ने हरी झंडी दी थी. बाद में बिहार सरकार ने DMCH अस्पताल के विस्तार की बात कह एम्स निर्माण का स्थल बदल कर एकमी शोभन में बाईपास में दी थी.
सुशील मोदी ने कही ये बात
इसी कड़ी में दरभंगा पहुंचे सुशील मोदी ने कहा, 'CM नीतीश इतनी चीजें बन रही है फिर भी आपको दिखाई नहीं पड़ रहा या जानबूझकर आपने आंख बंद कर लिया है. आप नहीं चाहते हैं कि PM नरेंद्र मोदी को श्रेय मिले. उत्तर बिहार एवं मिथिला के लाखों लोगों को आपने इलाज कराने से वंचित कर दिया. इतिहास कभी आपको माफ नहीं करेगा. आप ने इसलिए एम्स नहीं बनने दिया कि PM नरेंद्र मोदी को श्रेय मिल जाएगा. लोग यह ना कहे कि PM नरेंद्र मोदी ने एम्स बनाया.' उन्होंने आगे कहा, 'इससे पहले कहते थे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड कर दीजिए. फिर बोले कि हम जमीन दे रहे हैं वहां एम्स बनाइए. फिर कहीं और जगह दे दिया और वहां केंद्र की टीम आई तो बताया कि यहां बिल्डिंग बनना संभव नहीं है. पांच साल हो गया लेकिन अभी तक दरभंगा एम्स का निर्माण नहीं शुरू हुआ. जानबूझकर एम्स के लिए जमीन नहीं दी गई. हर राज्य में एक एम्स निर्माण का प्रावधान है. लेकिन उस समय अरुण जेटली थे और नरेंद्र मोदी के कहने पर कश्मीर को दूसरा एम्स मिला एवं बिहार को दूसरे एम्स मिला. मैंने अखबार में पढ़ा कि जनता दल यूनाइटेड के 20 सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि दरभंगा से एम्स को सहरसा ले जाए. याद रखें कि हम लोग दरभंगा एम्स पर चुनाव लड़ेंगे और तुम लोगों को एक सीट भी नसीब नहीं होगा.
'ट्वीट करके भी उठाए थे सवाल
राज्यसभा सदस्य ने ट्वीट करके कहा कि दरभंगा में एम्स के लिए 150 एकड, मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विवि भवन के लिए 150 एकड़ और विक्रमशिला में प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 200 एकड़ भूमि देने का मामला भी फाइलों में अटका पड़ा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पटना हवाई अड्डा विस्तार के लिए 1216 करोड़ दिये. इस पर काम जारी है. दो साल बाद सालाना 80 लाख यात्री पटना एयरपोर्ट की सेवाएँ ले सकेंगे. अभी साल में 25 लाख यात्री यहाँ उतरते या उड़ान भरते हैं.