नई दिल्ली. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने SFT यानी स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन दाखिल करने की समय सीमा को कुछ दिनों के लिए और बढ़ा दिया है. आयकर विभाग ने बैंकों, फॉरेन एक्सचेंज डीलर और अन्य रिपोर्टिंग संस्थाओं से कहा है कि उनके पास अपने ग्राहकों द्वारा किए गए बड़े लेनदेन की रिपोर्ट देने के लिए वित्तीय लेनदेन (SFT) रिटर्न दाखिल करने के लिए कुछ दिन और हैं. इससे पहले एसएफटी का ब्यौरा देने की आखिरी तारीख 31 मई थी.
आयकर विभाग ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. आईटी डिपार्टमेंट ने बताया कि रिपोर्टिंग पोर्टल पर एक साथ रिटर्न दाखिल करने के कारण कुछ परेशानियां आई हैं. ऐसी स्थिति में एफएफटी रिटर्न दाखिल करने की सुविधा कुछ और दिन के लिए जारी रहेगी. बैंकों, फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स, NBFC, बॉन्ड्स/डिबेंचर्स जारी करने वाली कंपनी आदि पर एसफटी रिटर्न फाइल करने की बाध्यता होती है.
क्या STF से जुड़ी लिमिट
स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन (SFT) को वित्त वर्ष 2020-21 में लागू किया गया. इसके तहत हर किसी के लिए वित्तीय लेनदेन की एक लिमिट तय की गई है और यह लिमिट क्रॉस होने पर टैक्स डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी देना जरूरी है. देरी से एसएफटी रिटर्न दाखिल करने पर हर दिन के हिसाब से 1,000 रुपये तक का जुर्माना लगता है. वहीं, गलत स्टेटमेंट फाइल करने पर भी आपको पेनाल्टी का सामना करना पड़ कर सकता है. एसएफटी के माध्यम से इनकम टैक्स विभाग एक व्यक्ति द्वारा किए गए उच्च-मूल्य वाले लेनदेन पर निगरानी रखता है.
लाखों के लेनदेन पर रहती IT की नजर
अगर आपके बचत खाते में 10 लाख रुपये या चालू खाते में 50 लाख रुपये जमा किए गए हैं. जमीन या कोई प्रॉपर्टी 30 लाख रुपए से ज्यादा की खरीदी है. ऐसे मामलों की जानकारी आयकर रिटर्न (ITR) को एसएफटी के जरिए देनी होती है. अगर बैंक के सेविंग अकाउंट में 10 लाख से ज्यादा जमा होता है तो बैंक को SFT फाइल करना होता है. अचल संपत्ति के मामले में रजिस्ट्रार को 30 लाख से ज्यादा डील पर एसएफटी फाइल करना पड़ता है. अगर 10 लाख से ज्यादा का म्यूचुअल फंड, बॉन्ड या शेयर खरीदते हैं, तो इश्यूर को यह काम करना पड़ता है.