कलयुग के इस समय में जहां बच्चे अपने माता-पिता से किनारा कर रहे हैं. वहीं कुछ विरले बच्चे ऐसे भी हैं जो अपने माता-पिता की इच्छा को पूरी करने के लिए श्रवण कुमार बन अपने जिम्मेदारी को निभा रहे हैं. ऐसा ही एक नजारा सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले रास्ते पर दिखाई दिया. कलयुग का श्रवण कुमार कांवड़ पर अपनी बुजुर्ग मां को बिठाकर सुल्तानगंज से लेकर देवघर जा रहा है. यह नजारा जिसने भी देखा उन्होंने उस कांवड़िए की तारीफ की. कांवड़ पर अपनी मां को बिठाकर ले जाने वाले कांवड़िए रंजीत ने बताया कि वह अपनी मां को बाबा के दर्शन कराने ले जा रहा है. मां जब बहुत बीमार थीं, तो उसने ये मन्नत मांगी थी. उसने बताया कि पिछले साल उनकी मां बीमार थी. वो बाबा धाम जा रहे थे तो उसी समय प्रण लिया कि अगर उनकी मां ठीक हो गईं तो वो अपनी माता को भी बहंगी पर लेकर बाबा धाम आएंगे. अब इसी प्रण को पूरा करने के लिए वो अपने दो अन्य भाइयों और परिवार के साथ इस बार मां को कांवड़ पर लेकर बाबा धाम जा रहे हैं. तीनों भाई कांवड़ उठाने में सहयोग कर रहे हैं.कांवड़ पर बैठी द्रौपदी देवी की आंखों से खुशी के आंसू टपक गए. उन्होंने कहा कि ऐसे बेटे पाकर वो काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि हम धन्य हैं कि इस युग मे ऐसी संतानें हैं. हमने जो किताबों में पढ़ा आज वह मेरे साथ मेरे बेटों ने किया. हम भगवान भोलेनाथ से यही मांगते हैं कि मेरे बेटों को हमेशा खुश रखें. इसी तरह उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के इटेड़ा के रहने वाले अजय कुमार और बुलंदशहर के धराऊं के देव भी कलयुग के श्रवण कुमार हैं. उत्तराखंड के हरिद्वार से अजय अपनी कांवड़ में एक तरफ अपनी मां बाला देवी और दूसरी तरफ 51 किलोग्राम गंगाजल लेकर घर की ओर रवाना हुए. वह घर पहुंचने पर अपनी माता के साथ स्थानीय शिवालय पर जलाभिषेक करेंगे. वहीं देव अपनी 100 साल की मां सरस्वती को कांवड़ पर बैठाकर बुलंदशहर से हरिद्वार की ओर निकले हैं.