गुमला: गुमला जिले के चैनपुर की दिव्यांग बेटी असुंता टोप्पो ने मलेशिया में आयोजित भारत-मलेशिया पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. असुंता के स्वर्ण पदक के साथ स्वदेश लौटने पर जिलावासी में खुशी देखी जा रही है .झामुमो के जिला उपाध्यक्ष सह बेंदोरा पंचायत के मुखिया सुशील दीपक मिंज ने फोन कर बधाई एवं शुभकामनाएं दी. उन्होंने बताया कि असुंता टोप्पो दिव्यांगता को कभी बाध्य नहीं बनने दिया. वह हमेशा अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते नई नई बुलंदियों को छू रही है. इससे पूर्व भारत-नेपाल पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया था. जिसके बाद मलेशिया जाकर भी न सिर्फ चैनपुर गुमला झारखंड बल्कि पूरे भारतवर्ष का नाम रोशन किया है. साथ ही साबित किया है कि हौसले बुलंद हो तो परिस्थिति सफलता का रास्ता नहीं रोक सकती. असुंता टोप्पो हमारे क्षेत्र के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जिन्होंने हर बाधा और मुश्किल परिस्थितियों को पीछे छोड़ते हुए कड़ी मेहनत और खेल के प्रति अपने जुनून से अपनी मंजिल को पा रही है.गौरतलब है कि गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत छतरपुर गांव की रहने वाली अनाथ दिव्यांग असुंता टोप्पो के पिता जेवियर टोप्पो और माता कटरीना टोप्पो की मृत्यु तभी हो गई थी जब असुंता छोटी थी. इसके बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब रहने के बावजूद पढ़ाई के प्रति उसकी रूचि के कारण उसने दिव्यांगता पेंशन से अपना गुजारा करते हुए पीजी तक की पढ़ाई पूरी की.असुंता टोप्पो ने मलेशिया खेलने जाने के लिए मदद करने वाले लोगों का भी आभार प्रकट किया है. असुंता टोप्पो ने बताया कि मलेशिया जाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं आर्थिक तंगी से जूझ रही थी. मैंने पैरा थ्री बॉल प्रतियोगिता में भाग लेने लेने से दूरी बना ली थी. जिसके बाद मैंने इसकी जानकारी झामुमो के जिला उपाध्यक्ष सह बेंदोरा पंचायत के मुखिया सुशील दीपक मिंज को दी. जिसके बाद उन्होंने मुझे ढाढस बांधते हुए मदद करने का भरोसा दिलाया और उपायुक्त से मिलने के लिए कहा और मेरी समस्याओं को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया. तदोपरांत मदद के लिए कई हाथ आगे आए जिसमें मैं विशेष रूप से बेंदोरा के जिला परिषद सदस्य दिलीप बड़ाईक मुखिया सुशील दीपक मिंज व सभी मीडिया कर्मियों का आभार प्रकट करती हूं जिन्होंने मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचने के लिए भरपूर सहयोग दिया.
असुंता का खेल के प्रति बहुत जुनून था और उसके इस जुनून को उड़ान मिली कोच मुकेश कंचन से मिलने के बाद जो कि पैरा ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ झारखंड के व्यवस्थापक भी हैं मुकेश कंचन के साथ रांची के मोराबादी स्टेडियम में अभ्यास करने के बाद असुंता घर पर भी अपना अभ्यास करती थी.