'हिट एंड रन' कानून को लेकर पांकी विधायक के बिगड़े बोल, सड़क दुर्घटना के आरोपी को जिंदा जलाने की बात कही

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पलामू के पांकी विधानसभा क्षेत्र के पांकी सीट से विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने बीच बाजार में एक सड़क दुर्घटना के आरोपी को जिंदा जला देने और पीट पीटकर हत्या करने की बात कही. दरअसल, सोमवार की शाम पांकी के तेतराई नहर के पास एक Xylo Car सवार ने बाइक सवार को टक्कर मार दी, जिसमें विनोद सिंह नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस घटना में मृतक का भाई रामा सिंह की हालत नाजुक बनी हुई है. विधायक का आरोप है कि बलामुआ गांव निवासी मो. नौशाद ने हत्या की नियत से दोनों को कुचला है और गाड़ी को बैक करते हुए फिर से कुचलकर मारा है. 

विधायक ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि आरोपी को पकड़कर जेल भेजने से काम नहीं चलेगा. पुलिस उसे पकड़कर जनता के सामने लाए, जनता उसे कुचलकर मारेगी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आरोपी को पेट्रोल से जिंदा जला देना चाहिए. विधायक के इस बयान पर कांग्रेस नेता रुद्र शुक्ला समेत अन्य लोगों ने विरोध जताया और विधायक पर कार्रवाई की मांग की है. रुद्र शुक्ला ने कहा कि विधायक का मानसिक संतुलन खराब हो गया है, उन्हे इलाज की जरूरत है. संविधान की कसम खाने वाले विधायक अगर कोर्ट और संविधान को भूल जाएं तो इस से दुर्भाग्यपूर्ण है.पांकी विधायक का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे 'हिट एंड रन' के नए कानून काफी चर्चा में है. देशभर के ट्रक और बस ड्राइवरों की ओर से इस नए कानून का कड़ा विरोध किया गया है. नए कानून के विरोध में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी, बिहार के ड्राइवरों ने कई दिनों की हड़ताल भी की थी. हालांकि, बाद में केंद्र सरकार की ओर से मिले आश्वासन के बाद ड्राइवरों ने हड़ताल छोड़ दी. बता दें कि सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 'हिट एंड रन' कानून में बदलाव किया गया है. इंडियन पीनल कोड, 2023 में हुए संशोधन के बाद एक्सीडेंट होने पर ड्राइवर को 10 साल की सजा और 7 लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इस संशोधन का ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने भी विरोध किया है. एआईएमटीसी के अध्यक्ष अमृतलाल मदान ने कहा कि यह नियम आने के बाद भारी वाहन चालक अपनी नौकरियां छोड़ रहे हैं. एआईएमटीसी के अनुसार, कानून में संशोधन से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए, प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं.

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