झारखंड की राजनीति के लिए आज (सोमवार, 5 फरवरी) का दिन काफी बड़ा है. चंपई सोरेन को आज विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की अग्निपरीक्षा पास करनी है. विश्वासमत परीक्षण को लेकर सभी दलों ने व्हिप जारी कर दिया है. इंडिया ब्लॉक का गेम बिगाड़ने के लिए बीजेपी की निगाहें अब झारखंड की कुर्सी पर टिकी हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार की पलटी से बिहार की सत्ता में बीजेपी की वापसी हो चुकी है और अगर अब झारखंड भी हाथ से निकला तो ये इंडिया ब्लॉक के लिए डबल झटका होगा. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि झारखंड में इतिहास दोहरा सकता है, यानी प्रदेश की कमान एक बार फिर से किसी निर्दलीय विधायक को मिल सकती है.
चंपई से नाराज हैं सत्तापक्ष के 5 विधायक?
दरअसल, झारखंड विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 81 है, जिसमें से एक सीट रिक्त है. यानी कुल 80 में से सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है. इंडी अलायंस की सरकार के पास 48 विधायक हैं, लेकिन मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने राज्यपाल को 43 विधायकों का ही समर्थन पत्र सौंपा है. चर्चा है कि ये 5 विधायक मुख्यमंत्री चंपई से नाराज हैं. वहीं 26 विधायकों के साथ बीजेपी विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी है. आजसू के तीन, एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी बीजेपी के साथ है. बीजेपी को सरकार बनाने के लिए निर्दलीय विधायकों के साथ सत्तापक्ष में भी क्रॉस वोटिंग करानी बहुत जरूरी है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी किसी निर्दलीय विधायक को आगे कर दे तो शायद सत्तापक्ष में सेंधमारी की जा सकती है.
सरयू राय को सीएम बना सकती है BJP!
इन परिस्थितियों में बीजेपी की ओर से निर्दलीय विधायक सरयू राय को सीएम बनाया जा सकता है. बता दें कि सरयू राय पहले भाजपाई ही थे. रघुवर दास की सरकार में वह खाद्य आपूर्ति मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि रघुवर दास से उनकी कभी नहीं पटी. रघुवर दास से तनातनी के कारण 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिला था. जिसके चलते वे निर्दलीय मैदान में उतर गए थे और जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. सरयू राय अभी भी खुद को बीजेपी की विचारधारा से अलग नहीं मानते हैं. उनका कहना है कि अगर बीजेपी उन्हें बुलाए तो वे फिर बीजेपी में चले जाएंगे, लेकिन रघुवर दास का विरोध करते रहेंगे. विश्वास प्रस्ताव के दौरान उन्होंने चंपई सरकार के विरोध में वोट करने का ऐलान किया है.
निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा भी बन चुके हैं CM
बता दें कि झारखंड में निर्दलीय विधायक के सीएम बनने का कारनामा पहले भी हो चुका है. 18 सितंबर 2006 में निर्दलीय विधायक मधु कोडा झारखंड के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. वह झारखण्ड के 5वें मुख्यमंत्री बने थे और 709 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. एक निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मुख्यमंत्री बनने वाले वह पहले व्यक्ति थे. इसमें भी खास बात ये है कि मधु कोडा का संबंध RSS से था और उन्हें कांग्रेस ने सीएम बनाया था. दरअसल, 2005 में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने थे. 2006 में बाबूलाल मरांडी की सरकार अल्पमत में आने के बाद कांग्रेस की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मधु कोड़ा झारखण्ड के 5वें मुख्यमंत्री बने थे.