रांची: झारखंड में लगभग पिछले चार साल से निकाय चुनाव लंबित है. ट्रिपल टेस्ट नहीं हो पाने की वजह से ये चुनाव लंबित है. नगर निकाय चुनाव नहीं करवाने से जुड़ी अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. चार साल तक चुनाव नहीं करवाने को लोकतंत्र की हत्या जैसा बताते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते में फैसला लेने का निर्देश दिया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान पहले ही हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में चुनाव करवाने का निर्देश दिया था पर ऐसा नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने अवमानना की याचिका दाखिल किया था. जिस पर सुनवाई हुई.बता दें कि झारखंड के 48 निकाय में से 14 पर 2020 से ही चुनवा लंबित है जबकि बाकी 34 का कार्यकाल अप्रैल 2023 में ही पूरा हो चुका है. इन निकायों में चुनाव नहीं करा पाने की असल वजह ट्रिपल टेस्ट का नहीं हो पाना है. ट्रिपल टेस्ट के जरिए ही ओबीसी का आरक्षण सुनिश्चित होना है. राज्य सरकार ने इसके लिए ओबीसी आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति भी किया है. ओबीसी आयोग के माध्यम से ही ट्रिपल टेस्ट होना है. ओबीसी आयोग ने इसके लिए राज्य सरकार को सभी जिले के डीसी के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट करवाने का आग्रह किया है.बता दें कि नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर दाखिल याचिका पर जनवरी में भी सुनवाई हुई थी. सरकार की तरफ उस समय ये जवाब दाखिल करते हुए कहा गया था कि विकास किशन राव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय या पंचायत चुनाव कराने का निर्देश दिया है. जिसके बाद प्रार्थी के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सरकार अधूरा जवाब देकर कोर्ट को दिग्भ्रमित कर रही है.