झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बदलाव हुआ है, जब झारखंड सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हो गया. चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं, अब एक बार फिर नए मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन शपथ लेते नजर आएंगे, लेकिन इसी बीच राज्य की सियासत गरमा गई है. भारतीय जनता पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को निशाने पर ले लिया और कई आरोप लगाए. इतना ही नहीं बीजेपी ने आदिवासियों के अपमान करने का गंभीर आरोप भी लगाया. इसके बाद से सूबे का सियासी पारा हाई हो गया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से बयानों के गोले बरसाए जा रहे हैं.दरअसल, बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और इंडिया गठबंधन पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए आदिवासी नेता का अपमान करने की बात कही. विधायक सीपी सिंह ने कहा कि ऐसे भी चंपई सोरेन को इन लोगों ने मुखौटा बनाया था, जबकि फैसला जेल से रहकर हेमंत सोरेन ले रहे थे तो बाहर आकर कर दो मुख्यमंत्री बन रहे हैं तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. इधर, प्रवक्ता अशोक बड़ाईक ने कहा कि बार-बार एक आदिवासी नेता को झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ज़लील किया है.झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि आदिवासियों की बात इनके जुबान से अच्छी नहीं लगती. यह हमारे परिवार का मामला है. उन्हें इसमें दखल देने की जरूरत नहीं. झामुमो ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि डिवाइड एंड रूल पॉलिसी के तहत वह चाह रहे हैं कि हमारे बीच आपस में टूट हो जाए, लेकिन उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा की बुनियाद का एहसास नहीं.भारतीय जनता पार्टी पर कांग्रेस भी हमलावर है. कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि लोकसभा में सभी आदिवासी सीटों पर हार का नतीजा है कि वो बेचैन हैं. इसीलिए ऐसी बातें कर रहे हैं. हेमंत सोरेन इंडिया गठबंधन का चेहरा हैं और वह फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. उन्होंने कहा कि दरअसल उन्हें इस बात की परेशानी सता रही है कि जब हेमंत सोरेन जेल में थे तो उनका यह हश्र हुआ जब वह बाहर हैं तो वह खाता भी नहीं खोल पाएंगे, जिसका अंदेशा बीजेपी के प्रभारी को भी हो चुका है, और रही बात परिवारवाद की तो उन्हें अपने गिरेबान में झांक कर देखने की जरूरत है.