भाजपा सबसे ज्यादा 68, आजसू 10 तो जेडीयू 2 सीटों पर लड़ेगी चुनाव, LJPR को 1 सीट

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झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग हो चुकी है और शुक्रवार को इसका ऐलान भी कर दिया गया. सीट शेयरिंग के हिसाब से भाजपा सबसे अधिक 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो वहां आजसू एनडीए की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी. आजूस को 10 सीटें दी गई हैं. वहीं 11 सीटों पर दावा ठोकने वाले जनता दल यूनाइटेड को महज दो सीटों से संतोष करना होगा. चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को भी एक सीट दी गई है. बता दें कि झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं. आजसू को सिल्ली, रामगढ़, गोमिया, ईचागढ़, मांडू, जुगसलाई, डुमरी, पाकुड़, लोहरदगा और मनोहरपुर सीट दी गई है. वहीं जेडीयू को जमशेदपुर पश्चिमी और तमाड़ सीट पर चुनाव लड़ना होगा तो चतरा की सीट लोजपा आर के खाते में गई है. बाकी बची सभी 68 सीटों पर भाजपा विधानसभा चुनाव में उतरेगी. हालांकि अभी कुछ सीटों को लेकर घटक दलों के बीच चर्चा जारी है. झारखंड एनडीए की ओर से बुलाई गई संयुक्त प्रेस वार्ता में सीट शेयरिंग के बारे में जानकारी दी गई. 

कुछ सीटों पर अभी रोटेशन संभव: हिमंता बिस्वा सरमा

इस दौरान असम के मुख्यमंत्री और भाजपा की ओर से झारखंड चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, महाराष्ट्र के साथ झारखंड की भी पहली सूची केंद्रीय चुनाव समिति जारी करेगी. एक या दो दिनों में भाजपा पहली सूची जारी कर देगी. उन्होंने कहा कि यह चुनाव यह चुनाव बाबूलाल मरांडी, सुदेश महतो, चंपई सोरेन और अमर बावरी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि झारखंड के सारे कार्यकर्ता हमारे बड़े नेता हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, यह चुनाव बाद तय किया जाएगा. 

हिमंता बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि महागठबंधन की ओर से उम्मीदवारों की सूची नहीं आई है. जब आएगी तो हो सकता है कि कुछ सीट को रोटेट किया जाए. उन्होंने कहा कि नामांकन के अंतिम दिन तक कुछ सीटों पर रोटेशन के रास्ते खुले हुए हैं. 

संथाल में आदिवासी अब केवल 28 प्रतिशत रह गए: मरांडी

झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, 5 वर्षों में झारखंड की जनता को छला गया है. सभी ने ठगा महसूस किया है. नौजवानों को इस राज्य में ठगा गया. अपने पिताजी का कसम खाकर हेमन्त सोरेन ने कहा था कि अगर 5 लाख नौकरी नहीं मिलेगी तो हम संन्यास ले लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विधानसभा में खड़े होकर बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी लेकिन आज तक नहीं मिला. लड़कियों को सोने का सिक्का देने की बात कही थी, नहीं दिया. उन्होंने कहा कि 2022 में दुष्कर्म के मामले में पूरे देश में झारखंड पहले स्थान पर रहा था. आदिवासियों के नाम पर केवल झारखंड में राजनीति की गई. सेवा की जमीन को भी फर्जी कागजात बनाकर बेच दिया गया. आज झारखंड की डेमोग्राफी बदल गई है. संभाल में 44 से घटकर आदिवासी अब केवल 28 फीसदी रह गए हैं. आज आदिवासियों की चिंता बढ़ गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा केवल वोटबैंक की राजनीति कर रही है. हमें झारखंड के डेमोग्राफी की चिंता है.

झारखंड भाजपा और आजसू को साथ देखना चाह रहा: सुदेश महतो

वहीं आजसू के प्रमुख सुदेश महतो ने कहा, हमने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. राज्य की जनता दोनों दलों को एक साथ देखना चाहती है. 2019 में जिन्होंने कमान संभाला, वे तकलीफ दे रहे हैं. सभी लोग इस तकलीफ से निजात चाहते हैं. जनता का समीकरण तैयार हो रहा है. निजी हित और स्वार्थ में शासन और विकास विलुप्त है. राजनीतिक जवाबदेही के रूप में हम मिलकर नया जनादेश देने की तैयारी कर चुके हैं. रीजनल और नेशनल सब्जेक्ट को साथ लेकर चलेंगे. राज्य को तरक्की के पैमाने पर खड़ा करना हमारी प्राथमिकता है. हमारी कोशिश है कि एनडीए की बड़ी जीत हो.

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