रांची: झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तारीख का ऐलान हो गया है. इसके साथ ही सभी दलों ने अपनी तैयारियां भी तेज कर दी है. इस बीच एनडीए में शामिल जेडीयू का झारखंड विधान सभा चुनाव के लिए चिन्ह बदल गया है. जेडीयू इस चुनाव में अपनी पारंपरिक निशान तीर छाप से न लड़कर गैस सिलेंडर छाप के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी.निर्वाचन आयोग ने झारखंड जेडीयू को यह चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. इस संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा एक पत्र भी जारी किया है.
बता दें कि इससे पहले पिछले विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू की चुनाव चिन्ह बदला गया था. तब जेडीयू को चुनाव चिन्ह ट्रैक्टर चलाता किसान आवंटित किया गया था. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश कुमार का तीर बिहार से झारखंड आते आते कमजोर हो जाता है. वहीं गैस सिलेंडर छाप चुनाव चिन्ह मिलने के बाद जेडीयू का कहना है कि पार्टी के वोटरों को इससे थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन इसे दूर करके पार्टी चुनाव में सफलता हासिल करेगी.
दरअसल, बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में जेडीयू की शिकायत के बाद झामुमो को उसके पारंपरिक चुनाव चिन्ह से हाथ धोना पड़ा था. जिसके बाद जेएमएम की शिकायत पर झारखंड में जेडीयू को तीर से हाथ धोना पड़ा था. इस बार के चुनाव की घोषणा होने के बाद जेडीयू को एक बार फिर से आवंटित नए चुनाव ने पार्टी को जरूर मुश्किल में डाल दिया है.
बता दें कि किसी भी दल को चुनाव आयोग की ओर से चुनाव चिह्न का आवंटन किया जाता है. चुनाव आयोग के नियम के अनुसार कोई भी क्षेत्रीय दल का उम्मीदवार उस राज्य में पार्टी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है. क्षेत्रीय पार्टी अगर किसी दूसरे राज्य में अपने उम्मीदवार को उतारती है औऱ उस राज्य में वहीं चुनाव चिन्ह किसी दल को आवंटित रहता है तो इसके लिए अलग से नियन है. नियम के तहत अगर कोई क्षेत्रीय दल दूसरे राज्य में अपने उम्मीदवार को उतारता है और वहां उसका चुनाव चिन्ह किसी औऱ पार्टी को आवंटित रहता है तो उसे दूसरा चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है. इस नियम के कारण झारखंड विधानसभा चुनाव में हर बार नीतीश कुमार की पार्टी का चुनाव चिन्ह बदल जाता है.