कैमरून में फंसे 47 श्रमिकों को वेतन नहीं दिया, झारखंड में मुंबई की कंपनी पर मामला दर्ज

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 रांचीः झारखंड सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि उसने मध्य अफ्रीका के कैमरून में फंसे प्रदेश के 47 मजदूरों को कथित तौर पर मजदूरी नहीं किये जाने को लेकर मुंबई की एक कंपनी और कुछ बिचौलियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद श्रम आयुक्त ने हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह में बिचौलियों और नियोक्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई. 

हेमंत सोरेन को शिकायत मिली थी कि इन श्रमिकों को तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली है. मुख्यमंत्री सचिवालय के एक बयान के अनुसार, सरकार द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद मजदूरी का भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बयान में आरोप लगाया गया कि नियोक्ताओं और बिचौलियों ने इन मजदूरों को अंतर-राज्यीय प्रवासी कर्मकार (नियोजन का विनियमन और सेवा शर्त) अधिनियम, 1979 के तहत पंजीकृत किए बिना और आवश्यक लाइसेंस प्राप्त किए बिना कैमरून भेज दिया. 

बयान के मुताबिक, मजदूरों ने मुख्यमंत्री का ध्यान तीन महीने से उनके वेतन का भुगतान न किए जाने की ओर आकर्षित किया, जिसके बाद राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने मजदूरों और नियोक्ताओं से संपर्क किया. बयान में बताया गया कि हस्तक्षेप के बाद नियोक्ताओं ने दावा किया कि मजदूरों को प्रति माह 100 डॉलर का भुगतान किया गया था और सरकार को आश्वासन दिया कि जल्द ही शेष वेतन का भुगतान कर देंगे.

राज्य सरकार ने अन्य दस्तावेजों के अलावा मजदूरों के अनुबंध और वेतन का विवरण मांगा है. बयान के मुताबिक, मजदूरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं और विदेश मंत्रालय को इस बारे में सूचित कर दिया गया है. 

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