इतनी बड़ी साजिश को हल्के में क्यों ले रही आरपीएफ, बदमाश नशे में ट्रेन हादसा करा देते तो क्या होता?

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 पूर्वी चंपारण के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन बापू धाम के चैलाहा हॉल्ट पर मंगलवार की रात को जो कुछ भी हुआ, उससे यह साफ जाहिर होता है कि बदमाश ट्रेन जिहाद को अंजाम देने में जुटे हुए थे. हालांकि वे अपने मकसद में सफल हो पाते, इससे पहले ही डाउन चंपारण सत्याग्रह एक्सप्रेस आनंद विहार से मोतिहारी की तरफ जाने के लिए आ गई और वे सीमेंटेड कुर्सी को ट्रैक पर रखने में असफल रहे. हालांकि सीमेंटेड कुर्सी का कुछ हिस्सा ट्रैक पर था, लिहाजा ट्रेन उसे टक्कर मारती हुई निकल गई. इस टक्कर के निशान इंजन पर देखे जा सकते हैं. हमने अपनी पहली खबर में उस तस्वीर को प्रकाशित भी किया था. अब इस मामले में 3 आरोपी पकड़े गए हैं, जिनमें से एक नाबालिग है. आरोपियों ने शराब के नशे में यह वारदात करने की बात कबूली है, जो आरपीएफ को भी भा रहा है, क्योंकि इससे उसकी लापरवाही पर पर्दा जो पड़ जा रहा है. अगर बदमाश नशे की आड़ लेकर बचना चाह रहे हैं तो सवाल यह उठता है कि अगर कोई नशे में पूरी की पूरी ट्रेन पलटवा दे तो क्या यह आरपीएफ को चलेगा?

पकड़े गए मुमताज अंसारी और जुम्म्मन मियां ने स्वीकार किया है कि तीनों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर पहले शराब पी और फिर नशे में सीमेंटेड कुर्सी उठाकर रेलवे ट्रैक पर रखने की कोशिश की. सीमेंटेड कुर्सी का कुछ हिस्सा ट्रैक पर था, जिससे दिल्ली, आनंद विहार से आ रही डाउन चम्पारण सत्याग्रह एक्सप्रेस टकराई थी. हालांकि इस टक्कर में किसी प्रकार की कोई क्षति नही हुई थी. अगर आरोपी ट्रैक के बीचोंबीच सीमेंटेड कुर्सी रखने में सफल हो जाते तो बड़ा रेल हादसा हो सकता था. पकड़े गए सभी आरोपी चैलाहा हॉल्ट के आसपास के एक ही इलाके के बताए जा रहे हैं. 

आरपीएफ पोस्ट कमांडर चन्दन पासवान ने बताया, चैलाहा हॉल्ट के पास ट्रैक पर सीमेंटेड कुर्सी रखने के मामले में मुमताज अंसारी व जुमन मियां को गिरफ्तार किया गया है. उसी गांव का एक नाबालिग भी पकड़ा गया है, जिसे किशोर न्यायालय में पेश किया जाएगा. इन दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने की कार्रवाई चल रही है. पूछताछ में कुछ और लोगों का नाम सामने आया है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है. पकड़े जाने के बाद बदमाश अपने बचाव में शराब के नशे का बहाना बना रहे हैं. आरोपियों के बयान से रेलवे सुरक्षा बल की लापरवाही पर भी पर्दा पड़ रहा है और इससे उसका बचाव हो रहा है. इसलिए वह इस बयान को अपने लिए मुफीद मान रही है. लेकिन आरोपियों और आरपीएफ के दावों से कुछ सवाल पैदा हो रहे हैं:  

1. क्या सभी आरोपियों ने शराब पी रखी थी? 
2. शराब पीने के बाद सभी आरोपियों का दिमाग एक जैसे काम कर रहा था?
3. शराब के नशे में रेलवे ट्रैक ही क्यों दिखा, बगल की खाली जमीन क्यों नहीं दिखी? 
4. बदमाश अगर नशे में थे तो दूर से आती हुई ट्रेन दिख गई और वे भाग कैसे गए? 
5. यह कैसा नशा था कि ट्रैक पर सीमेन्ट की कुर्सी रखने के बाद सभी को भागना याद रहा?
6. क्या नशे में किसी का मर्डर कर दिया जाए या फिर मर्डर करने की कोशिश की जाए तो पुलिस क्या करेगी?

साफ है कि पकड़े जाने के बाद बदमाश नशे में गलती होने का बेतुका तर्क दे रहे हैं और आरपीएफ भी शायद उनके इस कबूलनामे को सही मानने की भूल कर रही है. शरारती तत्वों की कारस्तानी से कई जिन्दगी दाँव पर थी. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि शरारती तत्वों पर सख्त कारवाई के साथ उनकी मंशा की जाँच की जाए.

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