झारखंड के मंत्रियों का आरोप, 'केंद्र सरकार कर रही भेदभाव, कई योजनाओं की राशि रोकी'

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 रांचीः झारखंड सरकार ने केंद्र पर राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि मनरेगा सहित कई योजनाओं की बड़ी राशि केंद्र के पास बकाया है. इस राशि का बार-बार आग्रह के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है. 

मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद रॉयल्टी के मद में झारखंड की बकाया राशि 1 लाख 36 हजार करोड़ को देने में किस तरह से आनाकानी की जा रही है, यह सभी को पता है. मनरेगा के तहत झारखंड के केंद्र के पास 600 करोड़ रुपए बकाया हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमारी मांग के अनुसार आवंटन नहीं हुआ तो राज्य सरकार को अपने दम पर अबुआ आवास की योजना लानी पड़ी. 

मंत्री ने कहा कि हमने केंद्र सरकार से आवास योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि को बढ़ाने की मांग की है. वर्तमान में 1.20 लाख रुपए प्रति आवास निर्धारित है. हमारी मांग है कि केंद्र सरकार इस राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए करे, जिससे हर आवास में रसोईघर के साथ शौचालय भी बनाया जा सके. केंद्र सरकार को झारखंड की ओर से संचालित 'अबुआ आवास' को मॉडल मानकर पूरे देशभर में अपनाना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए 2022 से 2024 के बीच आखिर हमें आवास योजनाओं से क्यों दूर रखा गया? इसके बाद लोकसभा चुनाव के बाद और विधानसभा चुनाव से पहले 1.25 लाख आवास देकर कोरम पूरा किया गया. राज्य के जल संसाधन एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री हफीजुल हसन ने भी मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा कि वृद्धा पेंशन के मद में केंद्र अपने हिस्से की राशि नहीं दे रहा है. इस वजह से इस योजना के लाभार्थियों को भुगतान में देरी हो रही है. 

उन्होंने कहा कि 'खेलो इंडिया' में भी झारखंड के साथ भेदभाव हुआ. हमें मात्र 9 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि गुजरात को 446 करोड़ रुपए मिले. सभी जानते हैं कि झारखंड के खिलाड़ी किस तरह हर खेल में कमाल दिखा रहे हैं. इसके बाद भी हमारे साथ उनका रवैया क्या है, यह सबको पता है.

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