'दुबे जी गए थे चौबे बनने, छब्बे बन बनकर आ गए, कांग्रेस पार्टी पर यह कहावत सटीक साबित हो रही है. दरअसल, बिहार कांग्रेस ने चुनावी साल में दलित वोटरों को साधने के लिए स्व. जगलाल चौधरी की जयंती मनाने का फैसला लिया था. पार्टी ने 5 फरवरी को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में एक कार्यक्रम रखा था, लेकिन यहां पार्टी ने ब्लंडर कर दिया और जगलाल चौधरी के वंशजों को ही किनारे कर दिया. यहां तक की उनके बेटे भूदेव चौधरी को मंच पर भी नहीं चढ़ने दिया गया. हालांकि, वह राहुल गांधी से मुलाकात करना चाहते थे, लेकिन ऐसा ना होने पर वह काफी दुखी हुए. इसके एक दिन बाद कांग्रेस ने क्षतिपूर्ति करते हुए भूदेव चौधरी को पत्नी सहित प्रदेश कार्यालय में बुलाकर सम्मानित किया, लेकिन तबतक रायता फैल चुका था. अब यह रायता बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड तक पहुंच है.
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. समीर राज चौधरी भी खुद को जगलाल चौधरी का वंशज बता रहे हैं और इस कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने से नाराज हो गए हैं. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी स्व. जगलाल चौधरी उनके परदादा हैं. उन्होंने कहा कि उनकी (जगलाल चौधरी) जयंती पर पार्टी राहुल गांधी को बुलाकर उन्हें भी अंधेरे में रखा, जिससे उनकी छवि भी प्रभावित हो सकती है. समीर राज चौधरी ने कहा कि बाबू जगलाल चौधरी के परिवार से जुड़े होने की वजह से उनका मन भी बेहद आहत है.
समीर राज चौधरी ने कहा कि जगलाल चौधरी 1895-1975 के बीच एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ आजाद भारत में बिहार से मंत्री भी रहे. बिहार के छपरा से तीन बार विधायक रहे. वे बिहार कैबिनेट के पहले दलित मिनिस्टर थे. जो बिहार में पहली बार शराबबंदी, लैंड रिफॉर्म लाए थे. जिसके तहत 3 एकड़ से ज्यादा जमीन एक परिवार के पास नहीं है. चौधरी ने कहा कि वे कांग्रेस से जुड़े हुए है और कांग्रेस प्रदेश के पदाधिकारी रह चुके हैं. उन्हें पूरा यकीन है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को अंधेरे में रखकर यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उन्होंने राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वह इस विषय को संज्ञान में लें और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी से यह सवाल पूछे कि आखिर किस मनसा से उन्होंने ऐसा किया है.