झारखंड प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चल रहे विवाद के बीच, संजय सिंह यादव को एक बार फिर निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया है. रविवार, 15 जून को इस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे दो अन्य उम्मीदवारों, अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी, के नामांकन पर्चे जांच के दौरान रद्द कर दिए गए थे. इसके बाद संजय सिंह यादव ही मैदान में अकेले उम्मीदवार बचे थे. यह निर्वाचन 2025 से 2028 के सत्र के लिए हुआ है, जिससे उनका कार्यकाल अगले तीन साल तक रहेगा.
पार्टी ने की निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा
राजद के राज्य निर्वाचन पदाधिकारी गिरधारी यादव और सहायक निर्वाचन पदाधिकारी कलामुद्दीन खान के हस्ताक्षर से रविवार देर शाम एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई. इस विज्ञप्ति में आधिकारिक तौर पर संजय सिंह यादव के निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की गई. संजय सिंह यादव पलामू जिले के हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र से पिछले साल ही राजद के टिकट पर विधायक चुने गए थे. उनकी यह जीत, उनके पार्टी में मजबूत पकड़ को दर्शाती है.
दो उम्मीदवारों के पर्चे क्यों हुए रद्द
पार्टी के राज्य निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से जारी पत्र में बताया गया है कि अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी के नामांकन पत्रों में पार्टी की राज्य परिषद के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर प्रस्तावक के तौर पर नहीं थे. पार्टी के नियमों के अनुसार, नामांकन पत्र पर राज्य परिषद के कम से कम एक सदस्य का प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर होना अनिवार्य है. इसी तकनीकी कमी के कारण उनके नामांकन अमान्य कर दिए गए. वहीं, संजय सिंह यादव के नामांकन पत्र में राज्य परिषद के 10 सदस्यों ने प्रस्तावक के तौर पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे उनका पर्चा वैध पाया गया.
रद्द हुए पर्चों को लेकर हंगामा
रविवार दोपहर जब अभय सिंह और उनके समर्थकों को उनके पर्चे रद्द होने की जानकारी मिली, तो उन्होंने जोरदार विरोध दर्ज कराया और पार्टी कार्यालय में हंगामा शुरू कर दिया. सदाकत हुसैन अंसारी ने भी आरोप लगाया कि उनके पर्चे गलत तरीके से रद्द किए गए हैं. दोनों ही नेता पार्टी में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. अभय सिंह पहले भी प्रदेश राजद के अध्यक्ष रह चुके हैं, और सदाकत हुसैन अंसारी भी पार्टी की प्रदेश इकाई में बड़े पदों पर रहे हैं.
आलाकमान तक पहुंचेगी शिकायत
दोनों नेताओं ने चुनाव पदाधिकारी पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने अपनी दलील में कहा कि पार्टी की राज्य परिषद के लिए कोई चुनाव हुआ ही नहीं है, तो फिर नामांकन पत्र में राज्य परिषद के किस सदस्य का प्रस्तावक के तौर पर हस्ताक्षर लिया जाता? अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी दोनों ने साफ किया है कि वे इस मामले की शिकायत पार्टी के आलाकमान तक पहुंचाएंगे. इस घटना से झारखंड राजद में अंदरूनी कलह और गुटबाजी एक बार फिर सामने आ गई है, और यह देखना होगा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस विवाद को कैसे सुलझाता है.