झारखंड राजद अध्यक्ष चुनाव में विवाद, दो उम्मीदवारों के पर्चे रद्द, पार्टी कार्यालय में हंगामा

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झारखंड राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. इस पद के लिए दावेदारी कर रहे तीन उम्मीदवारों में से दो, अभय कुमार सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी, के नामांकन पत्र रविवार को जांच के दौरान रद्द कर दिए गए. यह फैसला चुनाव पदाधिकारी ने लिया, जिसके बाद पार्टी के प्रदेश कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि चुनाव पदाधिकारी को पुलिस बुलानी पड़ी.

जैसे ही अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी के पर्चे रद्द होने की खबर मिली, दोनों नेताओं और उनके समर्थकों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके नामांकन गलत तरीके से रद्द किए गए हैं. पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस चुनावी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है और कहा है कि वे इस मामले की शिकायत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाएंगे. यह घटना राजद के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान को दर्शाती है.

दो उम्मीदवारों के पर्चे रद्द होने के बाद, अब प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार बचे हैं, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह यादव. संजय कुमार सिंह यादव पलामू जिले की हुसैनाबाद विधानसभा सीट से विधायक भी हैं. ऐसे में उनका फिर से राजद के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना जाना अब लगभग तय माना जा रहा है. नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा 19 जून को होनी है, जैसा कि चुनाव के तय शेड्यूल में बताया गया है.

चुनावी प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए निर्वाची पदाधिकारी बनाए गए गिरधारी गोप ने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए 14 जून को कुल तीन लोगों ने पर्चा दाखिल किया था: संजय कुमार सिंह यादव, अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी. जांच के दौरान यह पाया गया कि अभय सिंह और सदाकत हुसैन अंसारी के नामांकन पत्रों में प्रस्तावक के रूप में राज्य परिषद के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं थे. पार्टी के नियमों के अनुसार, नामांकन पत्र में राज्य परिषद के सदस्य का हस्ताक्षर अनिवार्य होता है. इसी त्रुटि के कारण उनके नामांकन अमान्य कर दिए गए.

अभय सिंह पहले भी लंबे समय तक प्रदेश राजद के अध्यक्ष रह चुके हैं, और सदाकत हुसैन अंसारी भी पार्टी की प्रदेश इकाई में बड़े पदों पर रहे हैं. दोनों नेताओं ने चुनाव पदाधिकारी पर मनमानी करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पार्टी की राज्य परिषद के लिए कोई चुनाव हुआ ही नहीं है, तो फिर नामांकन पत्र में राज्य परिषद के किस सदस्य का प्रस्तावक के तौर पर हस्ताक्षर लिया जाता? दोनों ने साफ किया कि वे इस मामले की शिकायत पार्टी के आलाकमान तक जरूर पहुंचाएंगे, जिससे पार्टी के भीतर यह विवाद और गहरा सकता है.

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