पटना के शास्त्रीनगर थानाक्षेत्र में अस्पताल के आईसीयू में घुसकर बदमाशों ने जिस चंदन मिश्रा को गोलियों से भून दिया, वह बक्सर के कुख्यात ओंकार नाथ सिंह उर्फ शेरू गैंग का शागिर्द था. चंदन मिश्रा बेउर जेल का सजायाफ्ता कैदी था और 15 दिन के पैरोल पर बाहर आया था. 18 जुलाई को उसकी पैरोल खत्म हो रही थी और आज गुरुवार, 17 जुलाई को ही अस्पताल में घुसकर उसकी हत्या कर दी गई. आईजी पटना का कहना है कि यह एक तरह से गैंगवार है और आपसी दुश्मनी में एक गैंक के लोगों ने दूसरे गैंग के शागिर्द की हत्या की है.
पटना में गुरुवार सुबह अपराधियों ने एक सनसनीखेज वारदात को अंजाम देते हुए सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. शास्त्री नगर थाना क्षेत्र स्थित पारस अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा को 4 बदमाशों ने गोलियों से भून दिया. चंदन मिश्रा बेउर जेल में सजायाफ्ता था और 15 दिनों की पैरोल पर इलाज के लिए बाहर आया था. उसकी पैरोल 18 जुलाई को समाप्त होने वाली थी.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गुरुवार सुबह 4 अपराधी दो बाइकों पर पारस अस्पताल पहुंचे. बदमाशों ने मुख्य गेट पर बाइक खड़ी की और सीधे आईसीयू वार्ड में घुसकर चंदन मिश्रा पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. वारदात को अंजाम देकर बदमाश मौके से फरार भी हो गए. गोलीबारी की आवाज से अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई.
सूचना मिलते ही शास्त्री नगर थाने की पुलिस के साथ सचिवालय एसडीपीओ, सीटीएसपी सेंट्रल, एसएसपी पटना और आईजी पटना घटनास्थल पर पहुंचे और जांच शुरू कर दी. एफएसएल की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है और साक्ष्य इकट्ठा किए जा रहे हैं. अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज के जरिए हमलावरों की पहचान की जा रही है. पुलिस ने दावा किया है कि सभी हमलावरों की पहचान हो चुकी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
चंदन मिश्रा बक्सर जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के सोनवर्षा गांव का रहने वाला था. वह बक्सर के कुख्यात अपराधी ओंकार नाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह का शागिर्द था और उस पर हत्या, लूट और अपहरण के कई मामले दर्ज थे. हाल ही में चर्चित चूना व्यवसायी राजेन्द्र केसरी हत्याकांड में जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेन्द्र तिवारी ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसमें निलंबित पुलिसकर्मी दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा भी दोषी पाए गए थे.
इस सनसनीखेज वारदात ने अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह है कि तमाम सुरक्षात्मक उपायों के बावजूद अपराधी कैसे आईसीयू वार्ड तक पहुंच गए और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए.