दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग, विधानसभा से प्रस्ताव पारित

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झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक ऐतिहासिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के जननायक दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई. इस प्रस्ताव को मंत्री दीपक बिरुआ ने सदन में पेश किया. उन्होंने शिबू सोरेन को आदिवासी, मूलवासी, किसानों और शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष करने वाला एक युगद्रष्टा बताया. बिरुआ ने कहा कि दिशोम गुरु का पूरा जीवन सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक मूल्यों और जन आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए समर्पित रहा. उन्होंने झारखंड को एक अलग राज्य और पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

मंत्री ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक विचार और आंदोलन थे, जिनके अथक संघर्ष और बलिदान से झारखंड को उसका वाजिब स्थान मिला. उन्होंने 4 अगस्त 2025 को अंतिम सांस ली, और अब उनके सम्मान में उन्हें भारत रत्न देने की मांग झारखंड की जनता की सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इसे समर्थन दिया, लेकिन साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि झारखंड आंदोलन के दो और प्रमुख नेताओं- मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और बिनोद बिहारी महतो के नाम भी प्रस्ताव में शामिल किए जाएं. मरांडी ने कहा कि ये दोनों नेता झारखंड की आत्मा से जुड़े रहे हैं और उनके योगदान को भी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलनी चाहिए.

प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया कि स्वतंत्रता के 78 वर्षों बाद भी किसी भी आदिवासी को भारत रत्न नहीं मिला है, जबकि आजादी की लड़ाई और सामाजिक आंदोलनों में आदिवासी समाज का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. संसदीय कार्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करते हुए आदिवासी समाज के योगदान को राष्ट्रीय सम्मान मिलना चाहिए.

सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपस्थित थे. कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने प्रस्ताव में यह सुझाव जोड़ा कि विधानसभा परिसर में शिबू सोरेन के साथ-साथ शहीद सिदो-कान्हू और बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं भी स्थापित की जानी चाहिए, ताकि भावी पीढ़ी इन महान विभूतियों से प्रेरणा ले सके.

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