नीतीश सरकार के साथ आर-पार के मूड में शिक्षक संघ, नई नियमावली के खिलाफ 1 जुलाई से पूर्ण तालाबंदी का ऐलान

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बिहार में नई शिक्षक नियमावली 2023 के विरोध में शिक्षकों की जंग जारी है. नीतीश सरकार की धमकी के बावजूद शिक्षक संघ ने आंदोलन को और विस्तार देने का काम कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने नियोजित शिक्षकों से BPSC का फार्म नहीं भरने की अपील की है. शिक्षक संघ की ओर से कहा गया है कि यदि परीक्षा फार्म भरेंगे यदि पास करेंगे, तो केवल राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा और आपका वेतन पहले से कम हो जाएगा. संघ ने इसके पीछे का कारण बताते कहा कि सरकार आपकी नियुक्ति नई मानेगी और इस आधार पर नया वेतन ही देगी. इसके अलावा कहा गया कि यदि आप परीक्षा में फेल हो गए, तो फेल शिक्षक का दंश झेलना पड़ेगा. इसके बाद यदि कोई अभिभावक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिया कि फेल शिक्षक से हमारे बच्चे को सरकार पढ़वा रही है, तो हाईकोर्ट क्या फैसला देगा यह आप स्वयं समझदार हैं. संघ ने नियोजित शिक्षकों से कहा कि इसके बाद सरकार आपको निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा देगी और आप कुछ नहीं कर पाएं. समझदारी इसी में है कि आप परीक्षा फार्म नहीं भरें. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने आगामी एक जुलाई से तालाबंदी का ऐलान किया है. संघ ने कहा कि पहली जुलाई से पूर्णरूपेण तालाबंदी होगी. हम सभी को मैदान-ए-जंग में कूदना होगा. संघ ने कहा कि किसी एक की भी नकारात्मक सोच पूरे आंदोलन को कमजोर कर सकता है. बता दें कि नई नियमावली के अनुसार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनने के लिए प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा. शिक्षक संघ इसी बात का विरोध कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली सरकारी शिक्षा को कमजोर करने के लिए है. यह नियोजित शिक्षकों को बेरोजगार करने का षड्यंत्र है और सरकार स्कूलों में शिक्षकों की कभी भी भरपाई होने नहीं देना चाहती है.नियोजित शिक्षकों की मानें तो 2020 के चुनाव में महागठबंधन के द्वारा नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने की घोषणा की गई थी, लेकिन सरकार बनने के बाद कोई भी मांग पूरी नहीं हुई. ऊपर से अप्रशिक्षित शिक्षकों की बर्खास्तगी और एनआईओएस से प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की वेतन कटौती का आदेश दे दिया गया. बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव डॉ भोला पासवान का मानना है कि इस बार भी शिक्षक लड़ाई जीतेंगे. उन्हें राज्यकर्मी बनने के लिए बीपीएससी या कोई अन्य परीक्षा देने की जरूरत नहीं है. आखिर 5 लाख परिवारों के भविष्य का सवाल है. 

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