बिहार में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून को विपक्ष की बैठक आयोजित की थी. नीतीश को इस बैठक से जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हो सकी. बैठक के बाद से विपक्ष में तनातनी साफ नजर आ रही है. बैठक असफल होने के बाद नीतीश की राजभवन में बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी से मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद उन्होंने अपनी पार्टी (जेडीयू) के नेताओं के साथ बैठक की, जिससे राज्य का सियासी पारा काफी बढ़ गया है. इतना ही नहीं वो पार्टी विधायकों और पार्षदों से एक-एक करके भी मुलाकात कर रहे हैं और सभी की राय जान रहे हैं. जेडीयू विधायकों और पार्षदों को बारी-बारी से सभी विधायकों को सीएम आवास बुलाया जा रहा है. नीतीश कुमार उनसे मुलाकात कर रहे हैं. इस दौरान विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में सरकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यों का भी अपडेट भी लिया जा रहा है. अब इस मेल-मिलाप को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं. नीतीश कुमार का राजभवन पहुंचना और पीछे से सुशील कुमार मोदी का आना महज संयोग था या कुछ और? ये सवाल शिद्दत से बिहार की सियासत में गूंज रहा है. लोगों को 2017 की याद आ रही है, जब महागठबंधन से रिश्ता तोड़ कर नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे थे. तब भी सुशील कुमार मोदी उनके साथ गए थे. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अभी विदेश दौरे पर हैं. ऐसे वक्त में उनकी सुशील मोदी से मुलाकात बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है.