झारखंड में राजनीतिक हलचल, बीजेपी ने की राष्ट्रपति शासन की मांग, राज्यपाल को लिखा पत्र

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 Ranchi: भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड में संवैधानिक मशीनरी को ध्वस्त बताते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे लेकर मंगलवार को झारखंड के राज्यपाल को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग एवं भ्रष्टाचार की जांच कर रही एजेंसियां कार्रवाई के लिए वर्ष 2022 से लेकर अब तक राज्य सरकार को कई पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन राज्य सरकार और उसके अफसर इन एजेंसियों की अनुशंसाओं और पत्रों को नजरअंदाज कर रही है.मरांडी ने मीडिया में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों पर भी सरकार जिस तरह उदासीन और निष्क्रिय है, वह इस बात का प्रमाण है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है. मरांडी ने बताया कि जब मीडिया में प्रकाशित समाचारों के माध्यम से मुझे पता चला कि जांच एजेंसियों के पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, तब मैंने इसकी सच्चाई की जांच करने के लिए उचित प्रयास किए और आरोपों को सत्य पाया.

बाबूलाल ने लिखा,

"मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि झारखंड सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय में भ्रष्टाचार के मामलों में उच्च सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अनुरोध को छोड़कर ऐसे दस से अधिक मामले लंबित हैं. जांच एजेंसियों को न तो कोई जवाब दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई है, खासकर उन मामलों में जहां एजेंसियों द्वारा उपर्युक्त अनुरोध के साथ अनेक सबूत उपलब्ध कराए गए हैं. मैने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी लिखा था, लेकिन दोनों में से किसी की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में किसी भी व्यक्ति के लिए यह निष्कर्ष निकालना उचित है कि राज्य सरकार सक्रिय रूप से आरोपी व्यक्तियों को एक साजिश के तहत बचा रही है.'

राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करते हुए बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि मैं आपसे तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध करूंगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकार कानून/संविधान के अनुसार कार्य करे और यह प्रश्न भी पूछा जाना चाहिए कि इस तरह के गैर-अनुपालन को संवैधानिक मशीनरी की विफलता या खराबी के रूप में क्यों नहीं माना जाना चाहिए? मैं अनुरोध करता हूं कि तत्काल आवश्यक और सुधारात्मक कदम उठाए जाएं और यदि ऐसा असहयोग जारी रहता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की जाए.

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