Ranchi: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस समय जेल में बंद हैं. जिसके बाद लोग लगातार इस बात को लेकर बात कर रहे हैं कि इस बार वो लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान कर पाएंगे या नहीं. लेकिन इस बार हेमंत सोरेन समेत राज्य की जेलों में बंद 18 हजार से अधिक कैदी और विचाराधीन बंदी मतदान नहीं कर पाएंगे.
क्या कहते हैं कानूनजन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 62 (5) में बताया है कि जेल में प्रिवेंटिव डिटेंशन तहत कारावास में रह रहे लोगों के अलावा किसी भी कैदी या विचाराधीन बंदी को मतदान का अधिकार नहीं होता है.
निरोधात्मक कार्रवाई के तहत गिरफ्तार हुए लोग मतदान कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें जेल प्रशासन को आवेदन देना होआ. इसके अलावा जेल में बंद बंदी चुनाव में खड़े तो हो सकते हैं लेकिन वो वोट नहीं डाल सकते हैं. इस समय राज्य की जेलों में निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल और छवि रंजन व पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम सहित कई बड़े नाम बंद हैं. इन सभी लोगों पर ये नियम लागू होता है. वहीं, मतदान की डेट से पहले अगर हेमंत सोरेन या किसी और कैदी को जमानत मिल जाती है तो वो मतदान कर सकता है.
वहीं बता दें कि जेल में बंद एमपी-एमएलए लोकसभा चुनाव के दौरान वोट नहीं दे सकते हैं. लेकिन विधानसभा व संसद के भीतर सरकार के पक्ष-विपक्ष, राज्यसभा चुनाव में हिस्सा लेने के लिए उन्हें कोर्ट से पहले अनुमति लेनी पड़ती है, इसके बाद ही वो अपना वोट दे सकते हैं. इसी वजह से हेमंत सोरेन ने चम्पाई सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा जाकर अपना वोट दिया था.