रांचीः झारखंड में होने वाला विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा ये तय हो गया है. जहां बीजेपी बाबुलाल के चेहरे पर चुनांव लड़ेगी तो वहीं जेएमएम गुरुजी के आदर्श, चम्पाई सोरेन का काम और हेमंत सोरेन के चेहरे के साथ चुनाव लड़ेगी. जेएमएम के इस बयान के बाद राज्य का राजनीतिक पारा चढ़ गया है. तो वहीं आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है.
'बीजेपी दहाई का आंकड़ा भी नहीं कर पाएगी पार'
जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बाबूलाल मरांडी के नाम की घोषणा हुई तो हमने उसका स्वागत किया. क्योंकि उनके नेतृत्व में बीजेपी सभी ट्राइबल सीटें हारी है. पिछली बार भी उनके नेता थे, जिन्होंने 65 पार का नारा दिया था और हश्र बहुत बुरा हुआ था. अगर बीजेपी बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दें तो यह बात तय है कि बीजेपी दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाएगी. गठबंधन का चेहरा हेमंत सोरेन रहेंगे और कोई नहीं. गांव और दूर दराज इलाकों में हेमंत सोरेन के नाम पर जनता आक्रोशित है और इसका नतीजा बीजेपी को भुगतना होगा.
'चेहरा कौन होगा यह बाद में तय होगा'
कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि हम गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं तो चेहरा कौन होगा यह बाद में तय होगा. लेकिन हेमंत सोरेन चेहरा होंगे यह तय है. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बीजेपी लोकसभा में भी उतरी थी, क्या हाल हुआ यह सब ने देखा. हमें 2019 में जनादेश मिला था और इस बार भी जनता गठबंधन पर भरोसा जताएगी. हम पूरी मजबूती से विधानसभा चुनाव में उतरेंगे.
'बाबूलाल मरांडी का डर है'
वहीं इस पर भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब से बाबूलाल मरांडी के नाम की औपचारिक घोषणा हुई है तब से झामुमो घबराई हुई है. यह पहले भी बाबूलाल फोबिया से ग्रसित रहे हैं. इन्हें 3:30 वर्ष का समय लग गया, लेकिन फिर भी उन्हें प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया. यहीं बाबूलाल मरांडी का डर है. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में हम सशक्त तरीके से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. लेकिन इन्होंने हेमंत सोरेन को अपना चेहरा बताकर एक आदिवासी मुख्यमंत्री चंपई सोरेन जो परिवार के बाहर के हैं उनका अपमान किया है. इनके लिए परिवार के बाहर का व्यक्ति वैकल्पिक व्यवस्था हो सकता है स्थाई नहीं.