रांची : ओबीसी एकता अधिकार मंच झारखंड प्रदेश ने 11 सूत्री मांगों को लेकर केंद्रीय कार्यालय हरमू रांची में एक प्रेस वार्ता आयोजित की. इस प्रेस वार्ता में केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मदेव प्रसाद ने कहा कि झारखंड में ओ. बी. सी. की आबादी लगभग 55% है और यह वर्ग राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, यह वर्ग सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है. संयुक्त बिहार में ओ. बी. सी. को 27% आरक्षण मिलता था, लेकिन झारखंड बनने के बाद इसे घटाकर 14% कर दिया गया है. इसके अलावा, 11 जिलों में स्थानीय नियोजन में आरक्षण पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है.
इसके अलावा ब्रहमदेव प्रसाद ने आरोप लगाया कि झारखंड के गठन के 24 वर्षों में एन.डी.ए. और यू.पी.ए. दोनों ही सरकारों ने ओ. बी. सी. परिवार के अधिकारों को नजरअंदाज किया है और उन्हें छलने का काम किया है. सभी सरकारों ने ओ. बी. सी. के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है और इस वर्ग को पिछड़े और हाशिए पर डाल दिया है. इसलिए ओ. बी. सी. एकता अधिकार मंच ने 30 जुलाई को विधानसभा के सामने एक दिवसीय धरना देने का निर्णय लिया है. इस धरने का उद्देश्य ओ. बी. सी. के अधिकारों को हर परिवार तक पहुंचाना है. वर्तमान राज्य सरकार से यह मांग की जा रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले जाति आधारित जनगणना कराई जाए और जनसंख्या के अनुपात में सभी क्षेत्रों में सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और सरकारी व गैर-सरकारी नौकरियों में आरक्षण सुनिश्चित किया जाए.
बता दें कि मंच ने सभी ओ. बी. सी. लोगों से अपील की है कि वे 30 जुलाई को सुबह 10:00 बजे विधानसभा के सामने पहुंचकर अपनी मांगों का समर्थन करें. साथ ही यह साबित करें कि अगर ओ. बी. सी. के अधिकारों की अनदेखी की गई, तो 55% ओ. बी. सी. लोग किसी भी सत्ता को उखाड़ फेंकने की क्षमता रखते हैं.