झारखंड की बिश्रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प होने वाला है. यह सीट दो भागों में बटी हुई है. विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पलामू का बिश्रामपुर, ऊंटारी रोड, पांडू, नावाबाजार प्रखंड आता है. वहीं गढ़वा जिला का माझिआंव, बरडीहा, कांडी प्रखंड आता है. इस क्षेत्र में कुल 3 लाख 86 हजार 622 मदतादा हैं. इनमें 1 लाख 66 हजार 473 पुरुष और 1 लाख 42 हजार 149 महिला मतदाता हैं. बीजेपी ने एक बार फिर अपने सिटिंग विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी पर भरोसा जताया है. तो वहीं महागठबंधन के तरफ से अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. महागठबंधन में यह सीट राजद या कांग्रेस के खाते में जा सकती है. बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से कई ऐसे चेहरे जो बड़े माने जाते है और उनका जनाधार भी है. उनमें बीजेपी के रामचंद्र चंद्रवंशी के अलावा कांग्रेस से ददई दुबे, पूर्णिमा पांडेय, बड़ू दुबे, अमृत शुक्ला, राजद से नरेश सिंह, बसपा से राजन मेहता और अंजू सिंह शामिल हैं.
रामचंद्र चंद्रवंशी और बिश्रामपुर सीट एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं. वह यहां से चार बार चुनाव जीत चुके हैं. उनके अलावा यह कारनामा कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने किया था. भारतीय जनता पार्टी ने रामचंद्र चंद्रवंशी को ही टिकट दिया है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस को मिले और ददई दुबे को ही मैदान में उतारा जाए. हालांकि, यहां राजद भी मजबूती से लड़ती है और बसपा गेम चेंजर साबित होती है. पिछले चुनाव में रामचंद्र चंद्रवंशी को जीत मिली थी तो वहीं बसपा के राजन मेहता दूसरे स्थान पर रहे थे. निर्दलीय के रूप में नरेश सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि जेवीएम के अंजू सिंह पांचवे स्थान पर रहीं. कांग्रेस के ददई दुबे चौथे स्थान पर रहे थे.
इस सीट की बड़ी समस्याएं
बिश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई और रोजगार एक बड़ी समस्या रही है. विधानसभा क्षेत्र का आर्थिक गतिविधि कृषि आधारित है. बड़े भाग में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है. विश्रामपुर का इलाका लंबे समय से नक्सल हिंसा से जूझता रहा है. अब हालात बदल गए हैं लेकिन पलायन अभी-भी कायम है.