झारखंड विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इतिहास रच दिया है. झारखंड के गठन के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है, जब सत्ताधारी गठबंधन ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की हो. वहीं हेमंत सोरेन झारखंड के पहले नेता होंगे, जो लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे. हेमंत सोरेन ने भले ही झारखंड के सबसे प्रभावी परिवार में जन्म लिया हो, लेकिन उनका सियासी करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हैं. कभी इंजीनियर बनने का सपना देखने वाले हेमंत सोरेन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण राजनीति में आए थे और आज आदिवासी योद्धा बनकर उभरे हैं.
हेमंत सोरने का जन्म 10 अगस्त 1975 को हजारीबाग के पास नेमरा गांव में हुआ था. हाईस्कूल से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पटना में रहकर पूरी की. इसके बाद उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. इसके बाद वह अपने पिता शिबू सोरेन के पदचिह्नों पर चलते हुए सामाजिक कार्य करने लगे. हालांकि, राजनीति से दूर रहते थे. वहीं शिबू सोरेन का राजनीतिक उत्तराधिकारी उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को माना जा रहा था, लेकिन अचानक से दुर्गा सोरेन के निधन के बाद हेमंत सोरेन को राजनीति में उतरना पड़ा और राजनीतिक विरासत संभालना पड़ा.
राजनीति में अपनी पहचान बनाने से पहले हेमंत सोरेन ने 2009 से 2010 तक राज्यसभा सांसद के रूप में कार्य किया. 2013 में वे कांग्रेस और राजद के समर्थन से झारखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने. हालांकि 2014 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. दिसंबर 2019 में कांग्रेस और राजद के सहयोग से एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए. हेमंत का यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है. साल 2023 की शुरुआत में भूमि घोटाले से जुड़े कथित धनशोधन मामले में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जेल तक जाना पड़ा. हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन ने वापस सत्ता संभाली और आदिवासी सम्मान को अपना हथियार बनाकर बीजेपी के खिलाफ मैदान में डट गए. नतीजतन इस चुनाव में उनकी पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 81 सीट में से 30 पर कब्जा जमाया, जो उनके नेतृत्व की बढ़ती लोकप्रियता की तरफ भी इशारा करता था.