झारखंड विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ एक सप्ताह की वक्त बचा है. वोटिंग से ठीक पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तगड़ा झटका लगा है. सीएम हेमंत सोरेन के नामांकन में जिन नेता ने प्रस्तावक की भूमिका निभाई थी, अब वह जेएमएम छोड़कर बीजेपी में चला गया है. बता दें कि मंडल मुर्मू अमर शहीद सिद्धो-कान्हू के वशंज हैं और हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र भोगनाडीह में परिवार के कई अन्य सदस्य भी रहते हैं. देवघर में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के आवास पर आयोजित एक समारोह में मंडल मुर्मू को बीजेपी के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदस्यता दिलाई. इस मौके पर बीजेपी के सह चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे.
मंडल मुर्मू के आने पर हिमंत बिस्व सरमा ने खुशी जताई. उन्होंने कहा कि मंडल मुर्मू कोई कैंपेन करने या वोट मांगने के लिए भाजपा में नहीं आए हैं. वह राजनेता भी नहीं हैं. उनके भाजपा में आने का मतलब है कि हमें सिद्धो-कान्हू का आशीर्वाद मिल चुका है. सरमा ने आगे कहा कि संथाल परगना में आदिवासियों के मान-सम्मान की रक्षा को लेकर मंडल मुर्मू से बातचीत कर आगे की रणनीति तय की जाएगी. हिमंता बिस्व सरमा ने बताया कि मंडल मुर्मू को बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था. मंडल मुर्मू ने कहा था कि वह किसी उम्मीदवार का प्रस्तावक बन गए हैं, तो वो चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन बीजेपी में जरूर शामिल होंगे.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 20 नवंबर को बरहेट विधानसभा सीट के लिए होने वाले मतदान के पहले मंडल मुर्मू का बीजेपी में शामिल होना हेमंत सोरेन के लिए बड़ा झटका है. मंडल मुर्मू नामांकन के दौरान सिर्फ हेमंत सोरेन के प्रस्तावक ही नहीं है, बल्कि वो अमर शहीद सिद्धो-कान्हू के वशंज है. पूरे संताल परगना प्रमंडल में अमर शहीद सिद्धो-कान्हू की लोकप्रियता 175 साल बाद भी बरकरार है. वहीं जेएमएम का कहना है कि इससे बरहेट विधानसभा सीट से हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा.