उड़ीसा के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी संभालने के बाद अब रघुवर दास ने राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया है. रघुवर दास के इस्तीफे के बाद झारखंड में चर्चा का सियासी माहौल गर्म है. अटकलें लगाई जा रही है क्या एक बार फिर सक्रिय राजनीति में रघुवर दास की एंट्री होगी? क्या रघुवर दास झारखंड बीजेपी की कमान संभालते नजर आएंगे? बीजेपी रघुवर दास के सर्किय राजनीति में आने की संभावनाओं को पार्टी के लिए मजबूती बता रही है. वहीं, जेएमएम उन्हें फूंका हुआ कारतूस बता कर हमलावर है.
जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने किन विषय को लेकर इस्तीफा दिया है, यह वह खुद बताएंगे. इस्तीफा तभी लिया जाता है जब कोई अपने काम को करने में असफल हो. केंद्र सरकार को लगा होगा कि वह राज्यपाल के रूप में असफल रहे, इसलिए इस्तीफा लिया होगा. पहले भी तो रघुवर दास यहां थे तब भी कुछ नहीं हुआ था. दरिया जब तूफान पर रहता है तो उसे पर हाथी और घोड़े जैसे जानवर बह जाते हैं.
इस पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि बीजेपी का यह फैसला है. जिस तरह से झारखंड चुनाव में उनकी भद पिटी है उसके बाद उनका केंद्र नेतृत्व को लगा होगा कि जिन जोकर की वजह से चुनाव हार गए तो अब वह कुछ नया चाहते होंगे. लेकिन यह बात बिल्कुल समझ से परे है कि कोई व्यक्ति किसी राज्य का राज्यपाल हो उसको वापस से राजनीति में लाना पड़ रहा है. यह समझ आ रहा है कि पार्टी की क्या स्थिति हो गई है.
इस पर पलटवार करते हुए अतुल सहदेव ने कहा कि यह बांसुरी कितना बजेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि रघुवर दास के वापस आने से विपक्ष की हालत खराब है. रघुवर दास पार्टी के पुराने नेता रहे और सभी उनके वापस आने से उत्साहित है. रघुवर दास अपने स्पष्टवादिता के कारण जाने जाते हैं. उनका मन बिल्कुल निर्मल है और वह बिल्कुल साफ बोलते हैं. 2014 से 19 तक जो उनकी सरकार रही थी वह गुड गवर्नेंस के लिए जान जाती है.