झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्य में बैंकिंग प्रणाली के प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए सुधार की आवश्यकता बताई. उन्होंने रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में झारखंड मंत्रालय के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की 90वीं बैठक में बैंकों को निर्देश दिए कि वे केंद्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं के तहत अपने प्रदर्शन में सुधार करें. मंत्री ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली को ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बढ़ानी चाहिए और किसानों, स्वरोजगार करने वालों और छोटे उद्यमियों तक आसान ऋण सुविधा प्रदान करनी चाहिए.
वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर 7 फीसदी ब्याज दर को चिंताजनक बताया. उन्होंने कहा कि जब मंत्रियों को वाहन ऋण 4 फीसदी की ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है, तो किसानों से 7 फीसदी ब्याज लेना अनुचित है. यह ब्याज दर किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है, विशेषकर झारखंड जैसे कृषि प्रधान राज्य में, जहां अधिकांश किसान ऋण पर निर्भर रहते हैं. मंत्री ने बैंकों से आग्रह किया कि वे किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाएं.
बैठक में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के जीएम मनोज कुमार ने बताया कि झारखंड का ऋण जमा अनुपात दिसंबर तिमाही तक 51.13 फीसदी तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.50 फीसदी अधिक है. यह वृद्धि बताती है कि राज्य में बैंकिंग गतिविधियों में सुधार हुआ है और लोग अधिक ऋण ले रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड के तहत यदि किसान समय पर ऋण चुकाते हैं, तो उन्हें शून्य फीसदी ब्याज दर पर भी ऋण मिल सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन प्रसाद सिंह ने बैंकों द्वारा कम समय में ऋण जमा अनुपात में सुधार करने की सराहना की. उन्होंने बैंकों से ऋण की गुणवत्ता बनाए रखने पर जोर दिया और एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों) की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की. सिंह ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को लघु परिसंपत्ति प्रमाणपत्र (LPC) की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग ऋण सुविधा का लाभ उठा सकें. उन्होंने तसर उत्पादों को बढ़ावा देने और बैंकों द्वारा स्वच्छ मुद्रा शिविरों के आयोजन की भी प्रशंसा की.