रांची: राजधानी रांची के बेड़ो थाना क्षेत्र में शनिवार रात हुए हिंसक हमले ने जिले की शांति व्यवस्था को चुनौती दे दी है. घटना की जांच में तेजी लाते हुए पुलिस ने 25 नामजद और 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. शुरुआती जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इस हिंसक घटना में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से आए आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी शामिल थे, जो स्थानीय लोगों को भड़काने और माहौल को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे.
पूरा विवाद महादानी मंदिर और सरना स्थल के पास स्थित एक खाली ज़मीन की घेराबंदी को लेकर शुरू हुआ. सरना समाज का दावा है कि यह जमीन उनके धार्मिक स्थल से संबंधित है, जबकि हिंदू समाज के कुछ लोगों का कहना है कि घेराबंदी से उनके घरों तक पहुंचने का रास्ता बंद हो जाएगा, जिससे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों पर भी असर पड़ेगा
दरअसल, गत सप्ताह ग्राम सभा की बैठक में निर्णय लिया गया कि उक्त जमीन की घेराबंदी की जाएगी. कोई आपत्ति नहीं आने के बाद जब सरना समाज के लोग जेसीबी लेकर मौके पर पहुंचे तो विरोध शुरू हो गया. इसी दौरान हालात बिगड़ते चले गए और स्थिति हिंसक हो गई. हिंदू समाज के कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि घेराबंदी की कोशिश जमीन के फर्जी कागजातों के आधार पर की जा रही है. वहीं कुछ लोग यह मानते हैं कि यह जमीन वास्तव में सरना स्थल की ही है, लेकिन वे केवल घरों के लिए रास्ता छोड़ने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर, सरना समाज के लोगों का आरोप है कि बाहर से आए कुछ तथाकथित आदिवासी नेता स्थानीय लोगों को भड़का कर घेराबंदी का विरोध करा रहे हैं.
जैसे ही विवाद ने गंभीर रूप लिया, जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए एक जनसभा का आयोजन कराया. इसी सभा के दौरान का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें आदिवासी समाज से जुड़े एक युवक को यह कहते सुना गया कि "वह न तो कानून मानता है और न ही सरकार". इस बयान ने मीडिया और सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर विवाद को और तूल दे दिया.
इस विवाद की तह तक जाने के लिए जी बिहार झारखंड की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची. टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और दोनों पक्षों से बातचीत कर मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की. टीम ने देखा कि थाने में किस तरह से तोड़फोड़ की गई थी और घेराबंदी के प्रयासों को कैसे विफल किया गया. स्थानीय सरना समाज के लोगों ने बताया कि वायरल वीडियो को गलत संदर्भ में प्रचारित किया जा रहा है. उनका कहना है कि संबंधित युवक का बयान किसी खास सवाल के जवाब में आया था और उनका उद्देश्य सरकार या कानून का अपमान नहीं था. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब ग्राम सभा ने निर्णय ले लिया था, तब प्रशासन ने उसमें हस्तक्षेप क्यों किया.
विवादित स्थल पर महादानी मंदिर भी स्थित है, जिसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. सरना समाज का दावा है कि मंदिर जिस जमीन पर बना है, उसके कोई वैध कागजात नहीं हैं, जबकि संपूर्ण जमीन सरना स्थल के अंतर्गत आती है. उनका यह भी कहना है कि जब मंदिर पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, तो फिर सरना स्थल की घेराबंदी पर क्यों विरोध हो रहा है. रांची के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि यह विवादित जमीन मदनी मैदान के नाम से जानी जाती है, जहां एक ओर महादानी मंदिर और दूसरी ओर सरना स्थल स्थित है. उन्होंने बताया कि बिना प्रशासन को सूचित किए, सरना समाज के लोगों ने जेसीबी के साथ घेराबंदी की कोशिश की, जिसे रोकने के लिए प्रशासन को मौके पर पहुंचना पड़ा.
एसपी के अनुसार, प्रशासन ने उन्हें शांतिपूर्वक विधिक प्रक्रिया अपनाने की अपील की थी, लेकिन कुछ लोग उग्र हो गए और थाने पर हमला कर दिया. इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है. वहीं, रांची के एसएसपी ने बताया कि इस विवाद को भड़काने में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से आए कुछ बाहरी तत्वों की भूमिका सामने आई है, जिनकी पहचान कर कार्रवाई की जा रही है.