झारखंड में नगर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर राज्य सरकार पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार 'रूल ऑफ लॉ' यानी कानून के शासन की अनदेखी कर रही है. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है. यह आदेश रांची नगर निगम की पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंदा सेन ने कहा कि राज्य में संवैधानिक तंत्र लगभग विफल हो गया है. सरकार कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है. अदालत ने याद दिलाया कि 4 जनवरी 2024 को उसने आदेश दिया था कि तीन हफ्ते के अंदर राज्य के सभी नगर निकायों में चुनाव कराए जाएं, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी चुनाव नहीं हुए हैं.
राज्य सरकार का कहना है कि निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था तय करना जरूरी है. इसके लिए 'ट्रिपल टेस्ट' की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. इसी को आधार बनाकर सरकार लगातार चुनाव टालती जा रही है.
झारखंड के सभी नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिकाओं का कार्यकाल अप्रैल 2023 में ही खत्म हो चुका है. नियमों के अनुसार, 27 अप्रैल 2023 तक चुनाव कराए जाने चाहिए थे. लेकिन चुनाव न होने की वजह से पिछले डेढ़ साल से इन निकायों का संचालन सरकारी प्रशासकों के हाथ में है. राज्य में अब ढाई साल से कोई भी निर्वाचित निकाय प्रतिनिधि नहीं है.
हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई अगले शुक्रवार को तय की है. तब तक राज्य सरकार को यह बताना होगा कि आखिर क्यों कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ. अदालत का रुख साफ है कि अगर इस बार भी सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई, तो कड़ी कार्रवाई हो सकती है.