बिहार के बेतिया से बड़ी खबर है, जहां 170 केजी चरस गांजा का भष्मीकरण किया गया है. एसपी डॉक्टर शौर्य सुमन के देख रेख भारी मात्रा में मादक पदार्थ का भष्मीकरण किया गया है. 170 केजी मादक पदार्थो का भष्मीकरण रामगढ़वा के शिव शक्ति राइस मिल में किया गया, ताकि मादक पदार्थो के धुआं से पर्यावरण प्रदूषित न हो सके. भारी मात्रा में जब मादक पदार्थ भष्मीकरण किया गया, तो एसपी डॉक्टर शौर्य सुमन मादक राइस मिल में मौजूद रहे एसपी के समक्ष मादक पदार्थो को भष्मीकरण किया गया.
मादक पदार्थ का कैसे किया जाता है भष्मीकरण?
मादक पदार्थ का भष्मीकरण कई प्रक्रियाओं के दौर से गुजरता है. एनडीपीएस अधिनियम के तहत पकड़े गए चरस गांजा को एक सील बंद पैकेट में रखा जाता है. इसकी मात्रा गुणवक्ता का रिकार्ड बनाया जाता है. एनडीपीएस अधिनियम की धारा 52A के तहत मादक पदार्थो को नष्ट करने के लिए एक विशेष कमिटी गठित की जाती है. कमिटी का अध्यक्ष आम तौर पर एसपी होते है.
पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए किया जाता है भष्मीकरण
भाषामीकरण प्रक्रिया काफी जटिल होता है. पर्यावरण को देखते हुए प्रक्रिया काफी पारदर्शी रखा जाता है. सील बंद चरस या गांजा को एसपी और अधिकारियों के समक्ष खोला जाता है. जिसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई जाती है. उच्च तापमान वाले भट्टी में भष्मीकरण का अंतिम रूप दिया जाता है. चरस गांजा या मादक पदार्थ पूरी तरह भस्म हो जाता है. उच्च तापमान वाले भट्टी में जलाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है.
भष्मी के दौरान पर्यावरण के सभी मानकों का पालन किया जाता है. हानिकारक धुआं पर्यावरण में नहीं फैले, इसका ध्यान रखा जाता है. मौके पर अधिकृत अधिकारी मौजूद रहते है. आज बेतिया एसपी डॉक्टर शौर्य सुमन द्वारा 170 केजी चरस गांजा का भष्मीकरण कराया गया है, जो कई जटिल प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए संपन्न हुआ है. एसपी डॉक्टर शौर्य सुमन का मादक पदार्थो भष्मीकरण यह संदेश देता है कि नशीले पदार्थो का तस्करी और सेवन पर बेतिया पुलिस काफी सख्त है.