झारखंड की राजधानी रांची में शिक्षक दिवस के अवसर पर वित्त रहित शिक्षकों ने अपनी प्रमुख मांगों को लेकर राजभवन के सामने महाधरना दिया. झारखंड राज्य वित्त राज्य शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आयोजित इस धरने में शिक्षक अपनी दो मुख्य मांगों, 75 प्रतिशत अनुदान राशि में वृद्धि और राज्यकर्मी का दर्जा को लेकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
शिक्षकों का आरोप है कि 75 प्रतिशत अनुदान वृद्धि का प्रस्ताव सभी संबंधित विभागों से सहमति प्राप्त होने के बावजूद पिछले दो महीनों से लंबित पड़ा है. इस अनुदान राशि में वृद्धि न होने के कारण शिक्षक आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. मोर्चा के नेताओं ने बताया कि राज्य में इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालय और मदरसा विद्यालयों के 1250 से अधिक संस्थान राजभर के अधीन संचालित हैं, जिनमें वित्त रहित शिक्षक कार्यरत हैं. यह शिक्षक पिछले दस वर्षों से वही वेतन प्राप्त कर रहे हैं, जो 2015 में निर्धारित हुआ था, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है.
शिक्षकों का कहना है कि वे विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सरकारी अनुदान में वृद्धि न होने और राज्यकर्मी का दर्जा न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. वे चाहते हैं कि उनकी मांगों को सरकार गंभीरता से ले और शीघ्र पूरा करे, ताकि वे अपनी सेवाएं और बेहतर तरीके से दे सकें.
मोर्चा ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से उनके अधिकार सुरक्षित होंगे और वे सामाजिक सुरक्षा जैसे लाभों के पात्र बनेंगे. इस धरने में शामिल शिक्षक अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द उनकी समस्या का समाधान करे. वित्त रहित शिक्षकों का यह आंदोलन इस बात की ओर संकेत है कि शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों की समस्याओं को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए. राज्य सरकार से अपील की गई है कि वह इन मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेकर शिक्षकों की चिंता दूर करे, ताकि वे बिना किसी भय या आर्थिक असुरक्षा के अपने कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकें.