रांची में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को साफ निर्देश दिया है कि 5 जनवरी तक पूरे राज्य के 334 पुलिस थानों में CCTV कैमरे पूरी तरह से लगा दिए जाएं. अदालत ने कहा कि थानों में आधुनिक निगरानी व्यवस्था की कमी कानून व्यवस्था को कमजोर करती है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भी असर डालती है. अदालत ने इस देरी को गंभीर चूक मानते हुए कहा कि अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और आईटी विभाग की सचिव अदालत के आदेश पर सशरीर मौजूद रहे.
31 दिसंबर तक DPR और टेंडर प्रक्रिया पूरी करने का आदेश
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि CCTV लगाने से जुड़ी DPR और टेंडर प्रक्रिया 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरी होनी चाहिए. इसके बाद सभी थानों में तुरंत कैमरे लगाने का काम शुरू कर दिया जाए. अदालत ने यह भी कहा कि 5 जनवरी तक सभी थानों में CCTV लग जाने चाहिए, अन्यथा इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि निगरानी प्रणाली मजबूत होना निष्पक्ष पुलिसिंग की मूल आवश्यकता है और इस मामले में किसी भी तरह की देरी अस्वीकार्य है.
यह मामला तब सामने आया जब पश्चिम बंगाल के शौभिक बनर्जी ने शिकायत की कि चेक बाउंस मामले में जमानत लेने धनबाद पहुंचे थे, जहां आरोप है कि पुलिस ने उन्हें दो दिनों तक बैंक मोड़ थाना परिसर में अवैध रूप से बैठाए रखा. याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह पूरा घटनाक्रम CCTV में होना चाहिए था. लेकिन जब अदालत ने फुटेज मांगा, तो पुलिस ने जवाब दिया कि केवल दो दिनों का बैकअप उपलब्ध होता है. अदालत ने इसे बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि धनबाद जैसे महत्वपूर्ण शहर में CCTV सुरक्षित न होना स्वीकार्य नहीं है.
राज्य सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी. अदालत ने कहा कि इस मामले की अगली मॉनिटरिंग 5 जनवरी को की जाएगी. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इस बार आदेशों की अवहेलना पर कड़ा रुख अपनाया जाएगा.
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