Dumri (Giridih) : गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड में आजादी के इतने वर्ष बाद भी कई सुदूरवर्ती गांव ऐसे हैं, जहां सड़क नहीं है. ग्रामीणों को ग्रामीणों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में यदि किसी की तबीयत खराब हो गई, तो परिजन उसे इलाज के लिए समय पर अस्पताल भी नहीं ले जा पातें हैं, जिससे कई बार तो मरीज की मौत भी हो चुकी है. ऐसा ही एक मामला प्रखंड की अतकी पंचायत के चुटरूमबेड़ा गांव में सामने आया है. गांव के किशुन हेंब्रम की गर्भवती पत्नी कांति मुर्मू (29) को सोमवार को प्रसव पीड़ा हुई. शुरू में घर वालों ने झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराया. लेकिन उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई. परिजनों की सूचना पर एंबुलेंस तो, आई लेकिन घर तक वाहन जाने का रास्ता नहीं होने के कारण एंबुलेंस करीब डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल के पास आकर रुक गई. ग्रामीणों की मदद से परिजन महिला को खटिया पर लादकर एंबुलेंस तक ले गए. इसके बाद एंबुलेंस से मरीज को रेफरल अस्पताल ले जाया गया. तब तक काफी देर हो चुकी थी. महिला की गंभीर हालत देख डॉक्टरों ने उसे धनबाद रेफर कर दिया. लेकिन धनबाद ले जाने के क्रम में ही रास्ते में महिला ने दम तोड़ दिया. पति किशुन हेंब्रम ने बताया कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण उसकी पत्नी समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकी, जिससे उसकी मौत हो गई.
घटना की सूचना मिलने के बाद मुखिया ईश्वर हेंब्रम, भाजपा नेता दीपक श्रीवास्तव, पंसस मोतीलाल हांसदा व विक्रम मरांडी मंगलवार की सुबह गांव पहुंचे और पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया. ग्रामीणों ने बताया कि चुटरूमबेड़ा गांव में पहुंचने के लिए कच्ची सड़क तक नहीं है. ग्रामीणों के लिए आवागमन का एक मात्र रास्ता पगडंडी है. लोग खेत और नालों के बीच से डेढ़ किलोमीटी तक पगडंडी से होकर आना-जाना करते हैं. मुखिया ईश्वर हेंब्रम ने बताया कि सड़क नहीं होने के कारण गर्भवती महिला समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सकी, जिससे उसकी मौत हो गई.