विधानसभा का चुनावी बिगुल बजने में अब महज दो महीने का समय ही बचा है. इंडिया गठबंधन पिछली बार की तरह ही इस बार भी आपसी तालमेल कर चुनावी मैदान में उतरेगा, यह तय है. मगर इस बार स्थितियां 2019 से बिल्कुल अलग दिख रही हैं, क्योंकि पांच साल सत्ता में रहने के बाद गठबंधन के दल चुनाव में जायेंगे. पिछली बार गठबंधन में माले नहीं था, अब माले भी शामिल हो गया है.. पिछली बार सभी दलों ने थोड़ी-बहुत समझौता करते हुए सीटों का बंटवारा किया था, लेकिन इस बार सभी दलों की मांगें अलॉटेड सीट से अधिक है. कुल सीटें 81 हैं, लेकिन गठबंधन में शामिल दल जिस तरह से अलग-अलग सीटों की दावेदारी कर रहे हैं, उससे तो सीटों की संख्या 109 से अधिक हो जाती है. अब ऐसे में गठबंधन दल के प्रमुख नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजद के राष्ट्रीय नेता तेजस्वी यादव और भाकपा-माले के राष्ट्रीय नेता दीपंकर भट्टाचार्य के लिए सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा. कैसे सीट शेयरिंग और गठबंधन का पेंच सुलझेगा, यहां किन-किन सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की नौबत आयेगी, यो तो आनेवाले दिनों में सामने आ पायेगा.हेमंत, खरगे व राहुल के बीच हो चुकी है फर्स्ट राउंड की बात
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने दिल्ली प्रवास के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल से मिल चुके हैं. बताया जाता है कि इस मुलाकात में सीट शेयिरंग पर पहले दौर की बातचीत भी हो चुकी है. अधिकांश सीटों को लेकर सहमति भी बन जाने की खबर है. आने वाले दिनों में गठबंधन के अन्य दलों से बातचीत कर जल्द ही सीट शेयरिंग का पेंच सुलझा लेने का भरोसा गठबंधन के दलों को है, ताकि सभी दलों को प्रत्याशी चयन और चुनावी तैयारी का पर्याप्त समय मिल सके.