रतन टाटा नहीं रहे, मुंबई के कैंडी अस्पताल में ली अंतिम सांस

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 जाने-माने उद्योगपति और टाटा ग्रुप के मुखिया रतन टाटा का निधन हो गया है. उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के कैंडी अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी. बुधवार (9 अक्टूबर) की शाम में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी. जिसके कुछ घंटे बाद ही खबर आई कि उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है. वह अपने सामाजिक कामों और चैरिटी के लिए मशहूर थे. बता दें कि रतन टाटा ने साल 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला था. 21 साल तक इस जिम्मेदारी को संभालने के बाद वह रिटायर हो गए थे. इस दौरान उन्होंने टाटा ग्रुप को उंचाइयों के शीर्ष तक पहुंचाया. आज के समय में उनकी नेटवर्थ 3800 करोड़ रुपये है.

गुजरात के सूरत में हुआ था जन्म

बता दें कि रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था. रतन टाटा नवल टाटा के बेटे हैं जिन्हे नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा की मृत्यु के बाद गोद लिया था. रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और कैथेड्रल में ही अपनी माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में संचारात्मक इंजीनियरिंग और 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया. इसके बाद टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहते हुए पूरे विश्व में कंपनी का डंका बजाया.

कई अवॉर्ड से हुए सम्मानित

रतन टाटा कई तरह के सामजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पीएम केयर्स फंड में 500 करोड़ की बड़ी राशि दान की थी. उनको उनने बेहतरीन कार्यों के लिए तमाम अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2000 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण तो साल 2008 में पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया था. आंकड़ों के अनुसार, उनके नेतृत्व में टाटा समूह के राजस्व में 40 गुना से अधिक और लाभ में 50 गुना से अधिक की वृद्धि हुई.

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