जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. जिसमें आतंकवादियों ने नाम और धर्म पूछकर 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. मरने वाले ज्यादातर पर्यटक हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों से कश्मीर घूमने गए थे. आतंकियों की ओर से की गई ताबड़तोड़ फायरिंग में कई लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हुए हैं. इस आतंकी हमले में झारखंड की राजधानी रांची के निवासी मयंक कुमार बाल-बाल बचे. हालांकि, इस घटना के बाद से वह गहरे सदमे में हैं. मयंक ने मीडिया को बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ कश्मीर घूमने गए थे और हमले के करीब आधे घंटे पहले ही पहलगाम से नीचे उतरे थे.
मयंक कुमार ने बताया कि वह मंगलवार (22 अप्रैल) की सुबह 10 बजे के करीब पहलगाम की पहाड़ी पर चढ़े थे और करीब एक बजे नीचे उतरे थे. इसके लगभग आधे घंटे के बाद ही आतंकवादी हमले की सूचना मिली. थोड़ी ही देर में चारों ओर से पुलिस वाहनों के सायरन की आवाज आने लगी. कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्या हुआ. उन्होंने बताया कि आतंकी हमले के बाद हम लोग वहां से सीधे अपने होम स्टे पहुंचे. वहां पर पता चला कि कुछ घटना हुई है. हम लोगों को घर से निकलने से मना कर दिया गया. उन्होंने कहा कि अभी चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है. डर का माहौल बना हुआ है.
आतंकी हमले के खौफनाक मंजर को बयां करते हुए मयंक कुमार की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने अब कभी भी कश्मीर नहीं आने की बात कही. वहीं इस हमले में जान गंवाने वालों में बिहार के निवासी मनीष रंजन भी शामिल हैं, जो एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर पद पर तैनात थे. मृतक मनीष की हैदराबाद में तैनाती थी. अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कश्मीर घूमने गए थे और आतंकियों का शिकार हो गए. मृतक ने अपनी पत्नी और बच्चों के सामने दम तोड़ा. इस घटना से मनीष की पत्नी और बच्चे गहरे सदमे में चले गए हैं.