जातिगत जनगणना के फैसले पर सियासत शुरू, JMM बोली- केंद्र को घुटनों पर आना पड़ा

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केंद्र सरकार के द्वारा जातिगत जनगणना कराने की घोषणा किए जाने के बाद झारखंड में सियासी बयानबाजी तेज हो गयी है. भारतीय जनता पार्टी के नेता इस फैसले से उत्साहित है तो वहीं विपक्षी इसे अपनी जीत बता रहे हैं. झारखंड की सत्ताधारी जेएमएम ने इसे विपक्ष के दबाव में लिया गया फैसला बताया है. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह हमारी कोशिशें का ही नतीजा है कि केंद्र सरकार को मजबूर होकर जातिगत जनगणना पर सहमति देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को घुटनों पर आना पड़ा. झामुमो प्रवक्ता ने आगे कहा कि इस फैसले के दो पहलू हैं. पहला- हमारी बुलंद की गई आवाज के बाद केंद्र सरकार को मनाना पड़ा. दूसरा पहलू यह है कि केंद्र सरकार की नियत सही नहीं है. इसका इस्तेमाल जनता को दिग्भर्मित करने के लिए किया जाएगा. तारीख बताने की मांग करते हुए जेएमएम ने कहा कि सरना कोड भी लागू होना चाहिए, नहीं तो उलगुलान होगा.

कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराने की तारीख बताने की मांग की है. कांग्रसी नेताओं ने कहा कि हम इस फैसले के साथ हैं, लेकिन प्रधानमंत्री इस फैसले के साथ तारीख भी बताए होते तो अच्छा होता. कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि बीजेपी नेताओं का बयान हमेशा जातीय जनगणना के खिलाफ रहा था तो आज बीजेपी क्यों क्रेडिट ले रही है. उन्होंने कहा कि ये राहुल गांधी और कांग्रेस की देन है, जनता समझती है. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सत्ता में रहते हुए आखिर जनगणना क्यों नहीं की गई. कांग्रेस इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति करती रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मुंह से पिछड़ी जातियों के हक देने की बात सामने ही नहीं आनी चाहिए. मंडल रिपोर्ट में 27 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई थी, लेकिन इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों ने मंडल कमीशन को दबा दिया. मोदी जी जो कहते हैं, वह करते हैं.


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