झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज के लिए आज का दिन यानी कि सोमवार (4 अगस्त 2025), शोकपूर्ण दिन साबित हो गया. दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, संरक्षक और राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार थे और अंतिम समय में जीवन रक्षक प्रणाली (Life Support System) पर थे.
शिबू सोरेन को जून 2025 के अंत में गुर्दे की गंभीर बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद उन्हें स्ट्रोक भी हुआ, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ गई. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, आज यानी सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनके निधन की पुष्टि करते हुए उनके बेटे और झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक भावुक ट्वीट में लिखा– 'आदरणीय दिशेम गुरु हम सबको छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूं'.
आदिवासी समुदाय की आवाज और झारखंड आंदोलन के जननायक
शिबू सोरेन ने चार दशक से अधिक समय तक झामुमो की बागडोर संभाली और पार्टी को जमीनी स्तर पर संगठित किया. 1987 में पार्टी की कमान संभालने के बाद उन्होंने उसे एक मजबूत जन आंदोलन में बदल दिया. उनकी नेतृत्व क्षमता और संघर्षशील छवि ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में भी पहचान दिलाई. वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और साथ ही केंद्र सरकार में कोयला मंत्री जैसे अहम पदों पर भी रहे. उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना था, अलग झारखंड राज्य का निर्माण, जिसे उन्होंने लंबी लड़ाई के बाद साकार होते देखा.
हमेशा रहेंगे प्रेरणा के स्रोत
ऐसे में उनके निधन के साथ झारखंड ने एक युग, एक आंदोलन, और एक विचारधारा के प्रतीक को खो दिया है. समर्थकों का मानना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए दिशुम गुरु का संघर्ष, विचार और योगदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.