खुले में कटे हुए बकरे और मुर्गे की बिक्री पर हाईकोर्ट सख्त, दिया ये आदेश

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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में खुले स्थानों पर कटे हुए बकरे और मुर्गे की बिक्री पर कड़ी नाराजगी जताई है. इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि खुले में मांस की बिक्री फूड सेफ्टी के मानकों का गंभीर उल्लंघन है और इससे आम लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

अदालत ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि राज्य में फूड सेफ्टी रेगुलेशन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए. कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2023 में हाईकोर्ट की एकल पीठ की ओर से दिए गए फैसले में पशु वधशाला से संबंधित नियम और विनियम तैयार करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अब तक उसका नोटिफिकेशन जारी कर गजट प्रकाशन नहीं किया जाना बेहद गंभीर बात है.

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी 2026 को निर्धारित की है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य सचिव, नगर विकास सचिव और रांची नगर निगम के प्रशासक व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हुए. अधिकारियों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार के फूड सेफ्टी रेगुलेशन के अनुरूप झारखंड में भी मॉडल फूड सेफ्टी रेगुलेशन तैयार किया जा रहा है. इसका ड्राफ्ट अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया.

रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पक्ष रखते हुए बताया कि पशु वधशाला के लिए नियम और विनियम तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिए गए हैं. हालांकि, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार का नया रेगुलेशन लागू नहीं हो जाता, तब तक केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2011 में लागू फूड सेफ्टी रेगुलेशन का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.

प्रार्थी श्यामानंद पांडेय की ओर से अधिवक्ता शुभम कटारुका ने अदालत को बताया कि आज भी राज्य के कई हिस्सों में खुले में मांस काटकर बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बस स्टॉप और सार्वजनिक स्थानों के पास खुले में लटकाए गए मांस पर मक्खियां बैठी रहती हैं, जिससे लोगों, विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा है.

इस पर हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे राज्य में बिना निगरानी पशु वध और खुले में मांस बिक्री की स्थिति गंभीर है और यह भी सुनिश्चित नहीं है कि ऐसा मांस उपभोग के योग्य है या नहीं.

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