रांची में साइबर ठगों के एक गिरोह ने एक रिटायर कोल इंडिया अधिकारी से 11 दिन तक ठगी की और उनसे 2.27 करोड़ रुपये की रकम हड़प ली. आरोपियों ने आरोपी को जेल भेजने और सख्त कार्रवाई का डर दिखाकर, उन्हें आठ अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया. इस मामले की एफआईआर सीआईडी साइबर थाना में दर्ज कराई गई है और प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि यह गिरोह महाराष्ट्र से संचालित हो रहा था.
कोल इंडिया के रिटायर अधिकारी ने एफआईआर में बताया कि 10 दिसंबर 2024 को उनके मोबाइल पर एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अफसर बताया और कहा कि उनके नंबर से कई लोगों को भ्रामक संदेश भेजे गए हैं. जब अधिकारी ने इससे इंकार किया, तो उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फंसाने और गिरफ्तारी की धमकी दी. कॉल करने वाले ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि यदि वे खुद को निर्दोष मानते हैं, तो गिरफ्तारी और कार्रवाई से बचने के लिए दिल्ली साइबर ब्रांच उनकी मदद कर सकती है. इसके बाद, उन्हें पूनम गुप्ता नामक महिला का कॉल आया, जिसने खुद को दिल्ली साइबर क्राइम ब्रांच की अधिकारी बताया. उसने उन्हें अपने मोबाइल का कैमरा ऑन करने और वीडियो कॉल पर रहने को कहा. फिर, उनसे कई लोगों से बात कराई गई, जिसमें एक व्यक्ति को सीनियर आईपीएस अधिकारी बताया गया. उन्हें लगातार धमकी दी गई और कहा गया कि असली अपराधियों के पकड़े जाने तक उन्हें वीडियो कॉल पर ही रहना होगा. यह पूरी प्रक्रिया 11 दिनों तक चलती रही.
11 दिनों तक लगातार धमकियां मिलने के बाद अधिकारी ने अपनी और पत्नी की बैंक खातों से कुल 2.27 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए. ठगों ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि इस राशि को ट्रांसफर करने से वे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप से बच सकते हैं. ठगी के बाद जब अधिकारी ने उन्हें कॉल करने की कोशिश की, तो आरोपी के नंबर ब्लॉक हो गए और उन्हें एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं.