झारखंड में बीजेपी को शर्मनाक हार क्या मिली, लगता है उसकी कमर ही टूट गई है. रिजल्ट आए हुए काफी लंबा वक्त बीत चुका है, लेकिन झारखंड बीजेपी के नेता अभी तक सदमे में पड़े हुए हैं. उनके शोकाकुल होने से पार्टी के कई काम अटके हुए हैं. पार्टी अभी तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का चयन भी नहीं कर पाई है. नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण कई आयोगों और संस्थाओं में नियुक्तियों का काम लटका पड़ा है. इन नियुक्तियों के लिए नेता प्रतिपक्ष की सम्मति जरूरी है. इसके लिए झारखंड हाईकोर्ट से चेतावनी भी मिल चुकी है.
जानकारी के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कई बार कहा है कि नेता प्रतिपक्ष के चयन में देरी होती है तो विपक्षी पार्टी अपने किसी सदस्य को इस काम के लिए नामित करे. हालांकि, बीजेपी ने हाईकोर्ट की चेतावनी को भी नजरअंदाज कर रखा है. अब सूत्रों से मिली जानकारी, दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद पार्टी नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा कर देगी. हेमंत सोरेन के सामने किसी आदिवासी नेता को ही पार्टी का चेहरा बनाना चाहेगी. इस लिहाज से बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन का नाम आगे चल रहा है. सीपी सिंह सबसे अनुभवी और लंबे समय से चुनाव जीतने वाले विधायक हैं, वे भी कड़े दावेदार हैं.
अगर ओबीसी और महिला को कमान देने की बात आई तो पार्टी कोडरमा से तीसरी बार जीतने वाली नीरा यादव को नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. बता दें कि विधानसभा का दूसरा सत्र 24 फरवरी से आरंभ होने जा रहा है. सत्र 27 फरवरी तक चलेगा. दूसरे सत्र के पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन की संभावना है. उधर दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास को वापस तो संगठन में भेज दिया है, लेकिन प्रदेश नेतृत्व उन्हें भी अब तक किसी काम की जिम्मेदारी नहीं दी है. अभी तक उनकी प्राथमिक सदस्यता के अलावा काम आगे नहीं बढ़ा है. राज्यपाल पद छोड़ने के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि भाजपा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है. हालांकि, अब तक प्रदेश अध्यक्ष का पद बाबूलाल मरांडी के पास ही है.