झारखंड विधानसभा के आगामी मानसून सत्र एक अगस्त से सात अगस्त तक आहूत होने वाला है. इसकी तैयारियों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष रबिन्द्रनाथ महतो ने बुधवार (30 जुलाई) को विधानसभा भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक की. मानसून सत्र से पहले ही प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है और बयानबाजी तेज हो गई है. झारखंड कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा जिस पार्टी को इस राज्य में अब तक अपना मंडल अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिला, जिसे अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं मिला वो बीजेपी हमारे विकास कार्यों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है. 27 राज्य में बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया पर झारखंड में नहीं कर पाई, बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को भी पता है इस राज्य में बीजेपी की विषाद क्या है. चुनाव हार का इतना प्रतिकूल प्रभाव बीजेपी पर पड़ा कि सत्ता से दूर होने पर बेचैनी समा गया है और बीजेपी हमारी सरकार के विकास कार्यों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है.
राकेश सिन्हा ने कहा कि इस राज्य में बीजेपी सिर्फ प्रश्नचिन्ह खड़ा करने वाली बन गई है. हम महागठबंधन में संवाद के जरिए राजनीति तय करते रह हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष को जलन होना चाहिए पर विकास कार्यों से जलन नहीं होना चाहिए. बीजेपी के 9 सांसदों का कभी सदन में मुंह नहीं खुला, कभी झारखंड के बकाए की मांग नहीं किया. आदिवासी और मुसलमान से बीजेपी को नफरत हो रही है इस लिए कभी इरफान अंसारी तो कभी शिल्पी नेहा तिर्की पर निशाना साधते हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को बरनाल भेजने का काम करेगें कि इसे लगाएं और जलन से मुक्ति पाएं और विकास कार्यों में अपनी सहभागिता निभाएं.
वहीं झारखंड बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, नकल के लिए भी अकल चाहिए, हम लोगों ने पिछले ही साल लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद विपक्ष को बरनाल भेंट किया था हमारे आइडिया को चुरा कर हमी को भेज रहे हैं.ये हताश लोग हैं, झारखंड के जिस तरह से उनकी सरकार चल रही है ,इसकी ज्यादा जरुरत कांग्रेस को है क्योंकि जेएमएम हर बार इनको ठेंगा दिखा देती है, कोई नीति सिद्धांत में इनसे सलाह मशविरा नहीं करती है.समन्वय समिति में कुछ रिजेक्टेड नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा भलेही दे दिया पर कोई समन्वय नहीं है.
जबकि झामुको प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे , जब एक सरकार बेहतरीन परफॉमेंस कर रही है, हमारे सीएम बेहतरीन गठबंधन की सरकार चला रहे हैं , सबसे लोकप्रिय सीएम में सुमार हैं. तो बीजेपी में बेचैनी स्वाभाविक है. समन्वय समिति का जो काम है वो प्रोपेगेंडा करना नहीं. बीजेपी के लोगों को नहीं दिखाना है कि समन्वय समिति क्या कर रही है, समन्वय समिति का भी अपना अहम रोल है. आपस में किसी का कोई कन्फ्यूजन न रहे जिन दलों के सहयोग से सरकार चला रहे हैं. उसी अनुरुप सरकार चल रही है. संवादहीनता थोड़े ही है. संवाद का ही नतीजा है सरकार बेहतर काम करती है. ये बेचैनी उनकी हो सकती है. समन्वय समिति अपना काम कर रही है.