किशनगंज में आयकर विभाग की छापेमारी, 100 करोड़ की मिली बेनामी संपत्ति, कंपनी मालिक की तबियत बिगड़ी

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 किशनगंज में दफ्तरी ग्रुप ऑफ कंपनी सहित विभिन्न ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी आज (बुधवार, 03 सितंबर) भी जारी रही. छापेमारी कार्रवाई को सुचारू बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई. जानकारी के मुताबिक, इस छापेमारी के दौरान आयकर विभाग की टीम को करीब 100 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति मिली है. बता दें कि दफ्तरी ग्रुप ऑफ कंपनी के किशनगंज के विभिन्न ठिकानों के अलावा कटिहार, सिलीगुड़ी और गुजरात में भी ग्रुप से जुड़े स्थानों पर छापेमारी की गई. दफ्तरी ग्रुप का व्यवसाय चाय बागान, मॉल, कपड़ा, फर्नीचर, निर्माण, होटल और वाहन बिक्री क्षेत्रों में फैला है. इसे 3 भाई राजकरण, जयकरण और विजय करण मिलकर चलाते हैं.

बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान एक सितंबर (सोमवार) की रात दफ्तरी ग्रुप के मालिक राजकरण दफ्तरी से अधिकारियों के द्वारा पूछताछ के क्रम में उद्योगपति राजकरण दफ्तरी के सीने में तेज दर्द हुआ, जिसके बाद वे अचानक जमीन पर गिर पड़े. उन्हें एक निजी नर्सिंग होम और फिर सिलीगुड़ी के आस्था नर्सिंग होम बाद में बेहतर इलाज के लिए उनको कोलकाता के अस्पताल में रेफर कर दिया गया है. फिलहाल उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.राजकरण दफ्तरी को बिहार के चाय का जनक कहा जाता है. उनका परिवार आजादी से पहले राजस्थान के चुरू जिले से किशनगंज आया था. जहां किशनगंज शहर के नेमीचंद रोड पर उनके पूर्वज कपड़े के व्यवसाय की करता था. 

राजकरण दफ्तरी ने 90 के दशक में जिले के पोठिया प्रखंड के कालिदास किस्मत गांव में मात्र 25 एकड़ जमीन पर प्रयोग के तौर पर चाय की खेती की जो सफल रही.... जो आज 500 एकड़ में चाय की खेती की जा रही है.इसके अलावे उनके एक टी प्रोसेसिंग यूनिट भी है, जो देशभर में राजबाड़ी चाय के नाम से प्रसिद्ध है. मंगलवार (02 सितंबर) की देर शाम आयकर विभाग की उप निदेशक सुनीता कुमारी ने दफ्तरी ग्रुप में जांच पूरी कर लौटते समय बताया कि करोड़ रुपये से अधिक के बेनामी संपत्ति के आंकड़े सामने आये हैं. यह आगे और बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि कार्रवाई अभी समाप्त नहीं हुई है. जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच की जा रही है और इसकी आधिकारिक रिपोर्ट तैयार होने में वक्त लगेगा.

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