झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में लंबे समय से नगर निगम और नगर निकाय चुनाव न होने पर एक बार फिर सख्त नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि तीन हफ्तों के भीतर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने की अनुशंसा भेजी जाए. यह सुनवाई न्यायमूर्ति आनंदा सेन की एकल पीठ में हुई.
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सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव अविनाश कुमार, गृह सचिव वंदना डाडेल, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार और अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार अदालत में उपस्थित थे. अदालत ने सभी अधिकारियों से यह पूछा कि अब तक नगर निकाय चुनाव क्यों नहीं कराए जा सके और आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि नगर निगमों और निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण तय नहीं होने के कारण चुनाव में देरी हुई है. उन्होंने बताया कि ओबीसी आरक्षण के लिए “ट्रिपल टेस्ट सर्वे” की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है और इसकी रिपोर्ट जल्द ही कैबिनेट को भेजी जाएगी. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने की सिफारिश भेजेगी.
हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क पर नाराजगी जताते हुए कहा कि “ट्रिपल टेस्ट सर्वे” के नाम पर चुनाव को लंबे समय तक नहीं टाला जा सकता. अदालत ने साफ कहा कि लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने के लिए समय पर चुनाव कराना आवश्यक है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि वह कितनी जल्दी चुनाव आयोजित कर सकता है.
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने कोर्ट से निवेदन किया कि चुनाव की तैयारी के लिए तीन महीने का समय दिया जाए, लेकिन अदालत ने यह मांग ठुकरा दी. कोर्ट ने आयोग से कहा कि अगली सुनवाई तक यह स्पष्ट करें कि न्यूनतम समय में चुनाव कराने की क्या व्यवस्था संभव है.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय की है. साथ ही यह भी आदेश दिया गया है कि उस दिन मुख्य सचिव, गृह सचिव और नगर विकास सचिव अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें. कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि आदेशों का पालन नहीं हुआ तो कठोर कार्रवाई की जा सकती है.
इससे पहले 4 जनवरी 2024 को झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि राज्य सरकार तीन सप्ताह के भीतर नगर निकाय चुनाव कराए. लेकिन लगभग दस महीने बीत जाने के बाद भी इस आदेश का पालन नहीं हुआ, जिसके चलते अब अवमानना याचिका दायर की गई है.
झारखंड में कुल 48 शहरी निकाय हैं. इनमें से 12 नगर निकायों के चुनाव जून 2020 से लंबित हैं, जबकि बाकी निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है. इससे राज्य में स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है और निर्वाचित निकायों के अभाव में जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
