झारखंड विधानसभा में छोटे बजट सत्र को लेकर सियासत तेज, आमने-सामने पक्ष-विपक्ष

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 रांचीः झारखंड सरकार में होने वाले बजट सत्र के प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है. 23 फरवरी से 2 मार्च तक चलने वाले बजट सत्र में साथ कार्य दिवस होगा. जानकारी के अनुसार, ऐसा पहली बार हो रहा है कि झारखंड गठन के बाद इतना छोटा बजट सत्र रखा गया हो. इस बार 7 दिनों के बजट सत्र को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष हमलावर है. 

बीजेपी मंत्री ने कसा तंज 
वहीं बजट सत्र में कुल सात कार्य दिवस है. इस छोटे कार्य दिवस को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता पक्ष पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी प्रवक्ता शिवपूजन पाठक ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे यह सरकार सिर्फ खानापूर्ति करना चाहती है. क्योंकि बजट लाना है और अगले सत्र के लिए वित्त व्यवस्था करना है और यह उनकी मजबूरी है. वहीं उन्होंने आगे कहा कि उनकी मंशा बहुत कुछ करने की नहीं है. यह जैसे-तैसे उसकी खानापूर्ति कर उसको पार कर देंगे. वहीं बीजेपी ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जन प्रतिनिधियों के सवाल से उन्हें डर लगता है और उसे झेलने की ताकत उनके पास नहीं है. इसलिए वह उसे बचाना चाहते हैं. इसलिए छोटा सत्र कर सिर्फ कुछ लोग लुभावना घोषणाएं करेंगे जो कभी धरातल पर नहीं उतरेगी. 

पलटवार करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने दिया जवाब 
वहीं छोटे सत्र को लेकर उठाए गए सवाल पर पलटवार करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सत्र छोटा नहीं है, बस इसे उपयोग करने की जरूरत है. लेकिन बीते सत्र के दौरान सिर्फ विपक्ष का हंगामा देखने को मिला है. उन्होंने बताया कि इस बार के बजट में जनहित और जन मुद्दों को देखते हुए पीपुल्स बजट लाया जाएगा और जो काम अधूरे रह गए हैं, वह काम हम पूरा करेंगे.

पूर्व मंत्री हफिजूल हसन ने दिया बयान 
राज्य के पूर्व मंत्री हफिजूल हसन ने छोटे बजट सत्र पर कहा कि छोटे सत्र को बुलाना सरकार की मजबूरी है. क्योंकि विपक्ष के द्वारा ही उत्पन्न की गई ऐसी परिस्थिति है. हफिजूल हसन ने कहा जो नियम है उसी नियम के तहत ही बजट सत्र बुलाया जा रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि जितना लंबा होना चाहिए था उतना लंबा नहीं है. क्योंकि पहले 9 फरवरी से 28 फरवरी तक था, लेकिन राज्य में जो अस्थिरता हुई. उसके वजह से कुछ फेरबदल किया गया है. लेकिन बजट में राज्य के चौतरफा विकास पर फोकस किया जाएगा.बरहाल बजट सत्र से पहले ही आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस बजट सत्र जनता के मुद्दे सदन पर आते हैं या फिर एक बार फिर हंगामा ही देखने को मिलता है. 

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