झारखंड में कल यानी मंगलवार (15 अक्टूबर) को चुनावी बिगुल बज गया. चुनावों का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई. चुनाव की घोषणा पर भी राजनीति देखने को मिली. जेएमएम और कांग्रेस ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. सत्ताधारी दलों का कहना है कि बीजेपी नेता और असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा को कैसे पता चला कि 15 अक्टूबर को चुनाव घोषित किए जाएंगे. इंडिया ब्लॉक ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि इलेक्शन कमीशन बीजेपी के इशारों पर काम कर रहा है. जेएमएम और कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी और चुनाव आयोग को सफाई देनी चाहिए, लेकिन बहुत से लोगों को भी लगने लगा था कि झारखंड में जल्द ही चुनाव घोषित हो जाएंगे. दरअसल, जैसे ही सोमवार (14 अक्टूबर) की सुबह-सुबह ईडी ने राज्य में कई जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई की तो लोगों को पता चल गया था कि अब चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं.
बीते कुछ वर्षों में तकरीबन हर चुनाव से पहले ईडी सक्रिय हो जाती है. जिस राज्य में ईडी की सक्रियता बढ़ जाए तो समझ में आ जाता है कि वहां चुनाव होने वाले हैं. हरियाणा में भी चुनाव से ठीक पहले ईडी का एक्शन देखने को मिला था. उस समय ईडी ने महेंद्रगढ़ से कांग्रेस विधायक राव दान सिंह की 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी. उन पर यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई थी. इस कार्रवाई को अंजाम देने के बाद ईडी ने बताया था कि कुर्की में राव दान सिंह और उनके बेटे अक्षत सिंह की ‘संस्थाओं’ की हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर 99ए में स्थित कोबन रेजीडेंसी के 31 फ्लैट और गुरुग्राम के हरसरू गांव में 2.25 एकड़ जमीन शामिल है.
झारखंड में चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मंत्री मिथिलेश ठाकुर के करीबियों के ठिकाने पर ईडी की छापेमारी हुई. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह छापेमारी की कहानी अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि अब चुनाव का वक्त है, विपक्ष के मुख्य सक्रिय कार्यकर्ता अपने काम में लग गए हैं. वहीं इस घटना पर सियासी जानकारों का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और हेमंत सोरेन सरकार में दिग्गज मंत्री मिथिलेश ठाकुर सवर्ण हैं और वे अपनी पार्टी के लिए तन मन और धन से डटे हुए हैं. जबकि बीजेपी को सवर्णों और बनियों की पार्टी कहा जाता है. पार्टी आज भी सवर्णों पर अपना एकाधिकार मानती है. शायद यही बात बीजेपी को पच नहीं रही है.
ईडी की रेड पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर का कहना है कि यह राजनीतिक रेड है. इसका निशाना कहां है, इस बात को आसानी से समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता ऐसी कार्रवाई के आदी हो गए हैं. ये लोग जनता की अदालत में फेल हो गए हैं तो एजेंसियों को काम पर लगा दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि पारदर्शिता से कार्रवाई हो तो ईडी को पूरा सहयोग दिया जाएगा, लेकिन ईडी को सरकार की कठपुतली की तरह काम नहीं करना चाहिए.